Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सूत्रकृताङ्गसूत्रे ___ अन्वयार्थ:--जीवितेच्छां परित्यज्य ते किं कुर्वन्तीत्याह-ते असंयमजीवनेच्छारहिता महापुरुषाः 'जीवियं' जीवितम् असंयमजीरनं 'पिट्टओ किच्चा' पृष्ठतः कृत्वा अनादृत्य जीवन निरपेक्षो भूत्वेत्यर्थः 'कम्मुणं' कर्मणां ज्ञानावरणीयाधष्टविधानां चतुर्णा घातिकर्मणां वा (अंतं) अन्तं नाशं 'पाति' प्राप्नुवन्ति सकलकर्मक्षपणेन मोक्षं प्राप्नुवन्तीत्यर्थः। (जे) ये सकलकर्मक्षपणासमर्थाः भवेयुस्ते
'जीवियं पिट्ठओ किच्चा' इत्यादि ।
शब्दार्थ--'जीवियं-जीवितम्' असंघम जीवन को 'पिट्टी किच्चा -पृष्ठतः कृत्वा' अनादर करके 'कम्मुणं-कर्मणां' ज्ञानावरणीयादि आठ प्रकार के घातिया कर्म के 'अंतं-अन्तम्' अंतको 'पावंति-प्राप्नुवन्ति' प्राप्त करते हैं 'जे-ये जो पुरुष सकलकर्म के क्षपण में असमर्थ होते हैं वे पुरुष 'कम्मुणा-कर्मगा' तप संयमआदि सदनुष्ठान रूप क्रिया से 'समुहीभूया-संमुखीभूताः' मोक्षके सन्मुख होकर 'भग्गं मार्गम्' जिनोक्त -सम्यक दर्शन ज्ञान चारित्ररूप मोक्षमार्ग को 'अणुसासई-अनुशासति' भव्यों को उपदेश करते हैं अर्थात् भव्यों को मोक्षमार्ग उपदेशद्वारा दिखाते हैं ॥१०॥
अन्वयार्थ--जीवन के प्रति निस्पृह होकर वे क्या करते हैं सो कहते हैं असंयम जीवन की इच्छा से रहित महापुरुष असंयमी जीवन को त्याग कर अर्थात् उससे निरपेक्ष होकर ज्ञानावरणीय आदि आठों कर्मों का या चार घातिया कर्मों का अन्त कर देते हैं और मोक्ष प्राप्त
जीवयं पिटुओ किच्चा' त्या
शहा–'जीवियं-जीवितम्' असयम बनने 'पिढओ किच्चा-पृष्ठतः कृत्वा' अना४२ ४रीने 'कम्मुण-कर्मणां' ज्ञानाव२९य माह 18 प्रारना धातिया मना 'अत -अन्तम्' मतने 'पावंति-प्राप्नुवन्ति' प्रात 3रे . 'जे -ये २ ३५ स४0 3भना सम असमय हाय छे ५३५ 'कम्मुणा -कर्मणा' त५ सयम विगैरे सहनुठान ३५ ठियाथी 'समुही भूया-संमुखीभूताः' माक्षनी सन्भु मनीने 'मग्ग-मार्गम्' यात सभ्य५ ४शन, ज्ञानयारित्र ३५ माक्षमालन 'अणुसासइ-अनुशासति' नव्याने पहेश २ छे. अर्थात् ભાને ઉપદેશ દ્વારા મોક્ષમાર્ગ બતાવે છે. ૧૦
અન્વયાર્થ–જીવન પ્રત્યે નિસ્પૃહ થઈને તેઓ શું કરે છે? એ કહે વામાં આવે છે–અસંયમમય જીવનની ઈચ્છાથી રહિત મહાપુરૂષ અસંયમી જીવનનો ત્યાગ કરીને અર્થાત તેનાથી નિરપેક્ષ બનીને જ્ઞાનાવરણીય વિગેરે આઠે કર્મોને અથવા ચાર ઘાતિયા કર્મોને અંત કરે છે. અને મોક્ષ પ્રાપ્ત
श्री सूत्रतांग सूत्र : 3