Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ जो अच्छे भावुक हैं / यहाँ एक दो मंजिला सुन्दर उपाश्रय और दो मंजिली एक धर्मशाला है। धर्मशाला के ऊपरी होल में जैनपाठशाला भी है, जिसमें जैनबालकों को धार्मिक, व्यावहारिक और संगीत की शिक्षा दी जाती है / उपाश्रय के पास ही सुन्दर शिखरवाला जिनालय है, जिसमें मूलनायक श्री ऋषभदेवप्रभु की सर्वाङ्गसुन्दर एक हाथ बडी प्रतिमा स्थापित है / इसके बाह्यमंडप में दो कायोत्सर्गस्थ जिनप्रतिमा विराजमान हैं, जो विक्रमीय 13 वीं शताब्दी की प्रतिष्ठित और श्वेतवर्ण हैं। गाँव से पश्चिम मांगुनदी के दहिने तट पर एक ही कम्पाउन्ड में गोडिपार्श्वनाथ और ऋषभदेव का शिखरबद्ध मन्दिर है / गोडिपार्श्वनाथ का मन्दिर पाडीवगाँव निवासी शा० कपूरचंद लालचंदने सं० 1975 में बनवाया है / इसका प्रवेश-द्वार देलंदरवासी शा० भूताजी मेघाजी के तरफ से बना है / इसीके पास सिद्धाचलपट बांधने का मकान सं० 1976 चैत्रवदि 8 के दिन ठाकुर किसोरसिंहजी के समय में फुगणीगाँववाले शा० जेसाजी गमनाजी के तरफ से बनाया गया है। मन्दिर में मूलनायक श्रीगोडीपार्श्वनाथ की श्वेतवर्ण प्रतिमा स्थापित है, जो नवीन है / इसके सामने श्रीगोडीपार्श्वनाथ के चरण विराजमान हैं। इन पर इस प्रकार का लेख है