Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 17
________________ १० अटतां चीर संवृतः II. 75.40b अटन्ति राजमार्गेषु II. 67.20c अटन्ति वसुधां कृत्स्नाम् V. 43.2IC अटव्यो रम्यकाननाः II. 48. Iob अट्टहासं विमुञ्चन्ती V. 58.49a अट्टहासान्विमुञ्चन्तः VII. 6.55a अट्टालकशताकीर्णाम् V. 21.7c अट्टालकावतंसकाम् V. 2.21d अत एव च गन्तव्यम् I. 24.30a अत एव न शक्ताः स्म II. III.2IC अतदर्ह महाराजम् II. I3.la अतन्द्रितैातिमिरात्तकामुकैः II. 87.24c अतः परं न शक्ष्यामि V. 40.8c अतः परमतीरोऽयम् VI. 4.98a अतरत्कपिवीराणाम् VI. 126.49c अतरत्सागरंगमाम् II. 49.10d अतर्कितमिदं मया I. 67.21d अतश्च त्वामहं ब्रूमि III. 13.17a अतश्चास्मिञ्जनस्थाने III. 54.28c अतश्चैवाहमादिष्टा II. 27.50 अतस्तु किं दुःखतरम् II. 44.66c अतस्ते कथितं मया V. 3.30d अतस्त्वां युवराजानम् II. 4.16c अतिकायं च दुर्घषम् VI. 94.2IC अतिकायं त्रिशिरसम् VII. I.32a अप्तिकायः प्रचुक्रोध VI. 21.64c अतिकायमिमं विदुः VI. 71.30d अतिकायं महाबलम् V. 42.5b अतिकायश्च तेजस्वी VI. 69.9c अतिकायस्य नादेन VI. 102.54a. अतिकायं हतं श्रुत्वा VI. 72.1a अतिकायाय चिक्षेप VI. 21.85c अतिकायेन सौमित्रिः VI. 21.8ra अतिकायोऽतितेजस्वी VI. 69.25a , 71.84a | अतिकायोत्तमाङ्गी च V. 17.6a अतिकायोऽद्रिसंकाश: VI. 7I.3c अतिकायो भृशं क्रुद्धः VI. 21.68c अतिकायो महातेजाः VI. 21.40c अतिकायो महाबल: VI. 71.95b अतिक्रम्य च सौमित्रिम् VI. 67.115a अतिक्रम्य तु मद्वाक्यम् I. 62.16c अतिक्रम्य महाबल: V. 2.1b अतिक्रम्य महावीरान् VII. I.31c अतिक्रम्य महावीर्यान् VII. I.32c अतिक्रम्य मुहूर्तेन VII. 14.3c अतिक्रान्तमतिक्रान्तम् II. 5I.Iga ,, 86.17a अतिक्रान्तवया राजा II. 58.23a अतिक्रान्तान्गतायुषः IV. 52.23d अतिकान्तेऽपि राघवे II. I0.13d अतिक्रामति दुर्धर्षः I. 15.9c अतिखिन्नः शरीरेऽस्मिन् III. 68.3a अतिघोरप्रदर्शनम् III. 61.34d अतिथिः किल पूजाहः V. I.II2a अतिथिः पूजनीयश्च VII. 76.26c अतिथिं पर्णशालायाम् III. I.I5c अतिथीन्प्रतिपूज्य च III. 12.27b अतिथी परमं प्राप्तौ I. 48.8a अतिदीर्घस्य कालस्य IV. 56.22a अतिनासाश्च काश्चिञ्च V. 17.12a अतिप्रमाणा बलिन: V. 56.47a अतिप्रवृत्ते दुर्मेधे II. 37.22a अतिप्रवृद्धानिलबर्हिणानाम् IV. 30.43b अतिप्रवृद्धोत्तमहेमशृङ्गम् VI. 74.54b अतिबल बलमाश्रितस्तवाहम् IV. 44.17a अतिबलसदृशैः पराक्रमैस्त्वम् VII. 29.38a अतिभक्तं त्वया सार्धम् VII. II.33a अतिमत्तां महोदरीम् III. I8.20b अतिमात्रकुचोदरीम् V. 22.35b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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