Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

View full book text
Previous | Next

Page 112
________________ terraणां महात्मनाम् VII. 55.4b 73.15b 19.30b " 39 19 इक्ष्वाकूणा महायशा: V. 31.2d इक्ष्वाकूणां महारथ: IV. 57.7b VII. 30.41d دو 23 १४ " " ور در " " " 19 इक्ष्वाकूणामिदं तेषाम् I. 5.3a इक्ष्वाकूणामियं भूमि: IV. 18.6a इक्ष्वाकूणामिहाद्यैव II. 67:8a इक्ष्वाकूणामुपाध्यायः II. 1oo.gc इक्ष्वाकूणां यथा राज्ये II. 15. 120 इक्ष्वाकूणां वरिष्ठस्य V. 30.42a इक्ष्वाकूणां विदेहानाम् I. 72.20 इक्ष्वाकूणां विशेषतः II. 73.22d इक्ष्वाकूणां हि सर्वेषाम् I. 57.22a I. 58.3a II. 110.36a ار " در " "" इक्ष्वाकोस्तु नरव्याघ्र I. 47. 110 इक्ष्वाकोस्तु प्रसादेन I. 47. 18a इक्ष्वाकोस्तु सुतः श्रीमान् I. 70.22a II. 110.8a Jain Education International ار 39.16b 76.33d " इक्ष्वाको स्वागतं वत्स I. 59.2a इक्ष्वाको: : सुमहात्मनः I. 7.1b इङ्गितं तदभिज्ञाय VII. 58.16a इङ्गितानां प्रकारैश्च IV. 2.24c इङ्गितान्युपलक्षये III. 64. 16b इङ्गितैव पुन: पुन: IV. 2.25d इङ्गितैः सर्वमाचर IV. 2. 18b तिं स तु विज्ञाय VII. 75.6a srat क्षोदमृद्धिमान् II. 104.13d इङ्गुदीमूलमागम्य II. 88. Ic इच्छत कामयानस्य V. 22.43a इच्छत्यलसगामिनी VI. 12.13b १०५ इच्छन्ति त्वां विनाश्यन्तम् III. 41.4c हरिगणेश्वर VI. 18.23d इच्छ मां क्रियतामद्य V. 20.21a इच्छसि त्वं विनश्यन्तम् III. 45.6c इच्छसे प्रसभं हर्तुम् III. 37.14C इच्छामि त्वां समानेतुम् V. 38.9a इच्छामि परतः शैलान् II. 27.170 इच्छामि भवतामर्थे II. 97.5c इच्छामि विविधैर्घातैः VI. 113.31c इच्छामि शीघ्र हनुमत्प्रधानान् V. 63-32a इच्छामि श्रोतुमात्मनः II. 72.35b इच्छामि हरिपुंगव VII. 34.40b इच्छामो हि महाबाहुम् II. 2.22a इच्छाम्यनुगृहीतोऽहम् I. 18.57a इच्छाम्यहमपि द्रष्टुम् IV. 62.15a इच्छाम्यहमुपासितुम् III. 43.2od इच्छे जीवितुमन्यत्र II. 66.5c इच्छेयं गिरिदुर्गाच्च IV. 56.21a इच्छेयं त्वामहं द्रष्टुम् VI. 119.20c इच्छेयं पर्वतादस्मात् IV. 56.24e इच्छेयं लोकरक्षणम् VII. 3. 15d इच्छेयं वानरोत्तम V. 37.62d इच्छेयं सुखिनी द्रष्टुम् II. 27.19a इत एवं भयं त्यक्त्वा IV. 32.18c इत एहीत्युवाचेत्र V. 9.21a इतः प्रभृति वज्रस्य VII. 36.12 इतर : क: सहिष्यति III. 66.5d इतरेतरसंवादात् VI. 126.370 इतश्च नातिदूरे सा IV. 27.26a इतश्चेतरतश्चैनम् II. 105. 15 c इतश्चेतश्च दुःखार्ताम् V. 14.420 इतोदात्तदन्तानाम् II. 99.11a इतश्रयुतः स्वर्गमुपैति विद्वान् II. 100.76d इतः सुमित्रे पुत्रस्ते II. 104.5a इतस्तु किं दुःखतरम् V. 66. ga For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182