Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 130
________________ इहोपयानं सर्वेषाम् V. 64.roa इहोपहार भूतानाम् VI. 87.4a ईक्षसे चीरवासिनीम् II. 38.IId ईजे ऋभिरन्यैश्च VII. 99.9c ईजे बहुविधः VI. 128.970 ईदग्विधैस्तु हरिभिः V. 43.24a ईदृशः क्व गमिष्यसि IV. 62.12b ईदृशं कर्म किल्विषम् II. I06.12b ईदृशं किमिदं वाक्यम् VII. I0.48a ईदृशं गर्हित कर्म III. 53.7a ईदृशं घोरसंहितम् VII. 81.6b ईदृशं त्वं हि मे गुरुः VII. 26.28d ईदृशस्त्वं रघुश्रेष्ठ VII. 82.12a ईदृशस्य ममाक्षय्याम् II. 64.39c ईदृशः स्यादुपक्रमः V. 64.30b , , ,, 36d ईदृशः स्याद्वयतिक्रमः V. 63.17b ईदृशानां प्रसूतानि I. 17.29c इंदृशाना समुद्भवे II. 4.1gb ईदृशानां सहस्राणि VII. 68.6a ईदृशा बुद्धिसंपन्नाः IV. 4.26a ईदृशास्ते भविष्यन्ति VII.9.13a ईदृशीयं ममालक्ष्मीः III. 67.24c ईदृशी राघवः शय्याम् II. 88.17c ईदृशी शिबिकां दृष्ट्वा IV. 25.27a दृशे वर्तमाने तु I. 73.39a ईदृशे व्यसने घोरे VI. 60.21c हेदृशैस्तैरमात्यैश्च I 7.20a दृशस्त्वं समाचारैः VII. 25.18a ईदृशैः सचिवैर्युक्त: VI. 29. I0c हेदृशो गतिविक्रमः VII. 35.27b हेदृशो दृष्टपूर्वो न VII. 92.18a दृशो नश्चिरं राजा VII. 41.21c दृशो राजसिंहस्य VII. 92.19c दशो विघ्न उत्पन्नः V. 58.370 ईदृशो ह्यश्वमेधस्य VII. 86.20a , , 90.240 ईदृशं राजसिंहस्य VII. 92.10a ईदृशं वचनं प्राप्तम् VI. 18.5c ईदृशं वा भयं तेऽद्य II. 97.140 ईदृशं व्याहतं कर्म II. I06.18c ईदृशं हि महाबाहो II. 50.37a .. ईप्सितं तस्य विज्ञाय VII. 87.270 ईप्सितं परमं मम VII. 76.rod ईप्सितं यादृशं तुभ्यम् VII. 68.18a ईयां रोषं बहिष्कृत्य II. 27.8a ईशानमिव चान्तकः VII. 7.38b ईशानवरदर्पितम् VII. 6.20b ईशे वराणां वरदे VII. 87.22c ईश्वरस्तैश्च संवृतः IV. 39.32b ईश्वरस्य कृते कृतम् II. 58.29b ईश्वरस्येश्वरः कोऽस्त VI. 13.3a ईश्वरायुधसंकाशान् VI. 71.55c ईश्वरेणापि यद्रागात् V. 55.16c ईश्वरैर्वानरर्षभः V. I.143b ईश्वरोऽपि न तिष्ठति III. 29.3d ईश्वरः प्लवतां वरः V. 39 33b " , 56.15b , , 68.17b ईश्वर शाहन्तारम् I. 46.30 ईषच्च हृषितो वास्या V. 27.44a ईषत्कार्यमिदं कार्यम् V. 55.10a ईषत्कार्य विदारणम् IV. 54.13d ईषत्वाष्पपरिप्लुतः VI. II4.5d ईषत्समुत्कटो मत्तः VI. 60.93c ईषत्स लज्जमानां ताम् II. 55.16c ईषदुत्स्मयमानस्तु VI. 18.7a ईषदुग्नाम्य पास्यामि VI. 5.13c ईषद्रजोध्वस्तमिवातुलाक्ष्याः V. 29.5b ईहतुर्बलदर्पितौ VII. 34.19d . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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