Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 167
________________ एवं ब्रुवति काकुत्स्थे I. 28.3a. , , , II. 36.10a " ,, ,, VII.76.36a , , राघव: VI. 37.25b ,, ,, रामे तु VII. 58.za ,, ब्रुवत्यां सीतायाम् III. 47.25a , ,, 48.1a ,, ब्रुवन्तं धर्मात्मा IV. 4.30a , ,, पितरम् II. 38.12a " , राजानम् I. 52.18a ,, ब्रुवन्तो ददृशुः VI. 107:52c ,, ब्रुवन्त्यां सीतायाम् VII. 48.19c ,, ब्रुवन्त्यः सर्वाः स्म I. 33.4c ,,ब्रुवाणं काकुत्स्थ VII. 72.13a ,, ,, काकुत्स्थम् III. 43.9a ,,, जनकः I. 7I.Ta ,, ,, तं शूरम् VI. 66.28a तमृषिम् II. II7.14a भरतः II. II2.20a ,, रामस्तु VII. 40.20a संरब्धम् VI. 36.14a ", , , 60.7la , सुहृदम् II. 69.7a. ,,, सौमित्रिम् III. 59.21a , , , IV. 4.25a . , ब्रुवाणमरजाम् VII. 80.13a ,, ब्रुवाणां तां सीता VI. 34.5a , वैदेहीम् III. 45.9c ,, ब्रुवाणे काकुत्स्थे VII. 98.ITa ,, ,, रामे तु I. 26.13a , ब्रुवाणी काकुत्स्थौ I. 30.3a. , ब्रुवाण: सौमित्रिः II. 31.6a " भवतु काकुत्स्थ VII. 62.16a " , गच्छाम IV. 38.5c , , भद्रं ते I. 42.225 एवं भवतु भद्रं ते I. 46.5a ,,, ,, ,, I. 60.30c ,, ,, भद्रं वः I. 72.IIa ,, , , , VII. 95.10a ,,, यास्यन्ति II. I9.13a ,, भविष्यथेत्युक्त्वा VII. 5.15a ,, भार्याश्च पुत्राश्च II. 105.27a. ,, मधुरमुक्तः स II. III.8a ,, मधुर्वरं लब्ध्वा VII. 61.15a ,, मन्त्रोऽपि विज्ञेय VI. 6.IIC ,, मन्ये गुणवताम् II. 39.IIa ,, मया तदा राजन् IV. 46.24c ,, मयाप्यविज्ञातम् II. 63.13c ,, मया मयानघ V. 65.10a ,, मयि च ते भक्तिः II. 3116a ,, महेश्वरेणैव VII. I6.45a ,, मां परिभाषन्तम् IV. 3.10c ..मे निश्चिता बुद्धिः III. 40.7a ,, राजर्षयः सर्वे II. 107.14a , राजा विनिःश्वस्य I. 32.26e ,, राम प्रयुक्तास्तु IV. 57.15a ,, राम समुद्भतः VII. 30.54a , रामो मुदा युक्तः VII. 42.240 ,, रुद्राद्वरं लब्ध्वा VII. 61.10a ,, रूपा विरूपिता III. I9.2d ,, लक्ष्मणमुक्त्वा तु III. 15:30a , लब्धवराः सर्वे VII. I0.49a ,, लालप्यमानायाम् VI. 32.34a , वक्ष्यति को राजन् V.64.19a , वदति राघवे II. 39.40d ,,,, तस्मिन्सा III. 55.32c ,, वदतु देवताः I. 65.24b ,, वदन्तस्ते सोढम् II. 40.27a ,, वदन्त्यो रुरुदु: VI. IIO.17a. ,, वयं न मृष्यामः III. 6.18a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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