Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 176
________________ एष निर्यातितः श्रीमान V. 40. Sa 65.24a " " निर्याम्यहं युद्धम् VI. 65.8a नः परमो वरः VII. 107.15b परमः काम VII. 38.28a समय: सौम्य IV. 26.170 >> " " 33 "> " 39 33 رو "" "" 33 " ور ار प्रस्रवण: शैल: IV. 52.32a प्राप्तो दशग्रीवः VII. 25.47c प्रायो नरेन्द्राणाम् VI. 18.11c प्रार्थयते मुनिः III. II. 14b पुष्पवही वायुः IV. 1. 53a पूर्वाश्रमो राम I. 29.3c फुलार्जन: शैल: IV. 28.ga ,, ब्रह्मा च विष्णुश्व VI. 105. 8a मन्त्रयते सर्वैः VI. 33.18c 29 >> در " " ވ 33 "" 27 " " " " 37 رو 33 در " "" पन्था नरव्याघ्र III. 5.37a मयोद्दिष्टः I. 35.5c महर्षीणाम् II. 119.21a पन्थाः सुयोधानाम् VI. 92.9c पर्वतमध्यास्ते VI. 26.38a पर्वतसंकाशः V. 1.27a मन्ये महाबाहुः II. 97.21c मह्यं वरं दत्त्वा II. 18.22a मातुर्वियोगा VII. 35.22a मुहाबद्ध: IV. 16.20a मेsस्तु वरः परः I. 42.20d VII. 70.5d در " मेघ इवाकाशे IV. 13.14 "" " " मे जीवितस्यान्तः II. 9.59c III. 47.9a "3 " " २२ " د. "" Jain Education International V. 33.200 दक्षिणो VI. बाहुः 59.55a निश्चितो वरः VII. 30. 13d परमोदार VII. 10.32C परमः कामः II. 11. 28a १६९ एष मे परमः कामः VI. 112.10C VII. 42.34C 33 33 प्रथमः कल्पः II. 52.63a कामः III. 19.20 राम शोकान्तः IV. 8.40a सहजो दोष: VI. 36. IIC "" "" हि सुनिश्वयः VII. 19.3b यूथपतिता VI. 27.26a यूथानि वीर्यवान् VI.26.20b योsभिमुखो लङ्काम् VI. 26.1Ic रक्षांसि निर्धूय VI. 24.3IC रश्मिहस्रेण VII. 31.27C " ,, राघवनन्दनः VII. 62. 14d ,, राजन्सहस्राक्षम् VI. 27.16a " " " " "" 33 " 29 " "" 22 33 99 "" 23 32 "" "" " "" "" " "" در " :9 " "" 22 33 "" "" "" " 29 " राजा कुशध्वज: I. 72.4d दशरथ: VI. 119.7a राज्यात्परिभ्रष्टः III. 33.19c " " राम मुनिश्रेष्ठः I. 65.29a शिवः पन्थाः III. 73.2a रामानुजः प्राप्त: IV. 31.33a रावणवीर्येण VI. IoI.3a रोषपरीतात्मा VI. 45.12c लोकार्चितः साधुः III. 11.87a लोके सतां धर्मः II. 40.6c वञ्जुलको नाम III. 69.23a वध्यो हि नान्यथा VI. 71.97d वादित्रनिःस्वनः III. 11.1gb वानरराजेन VI. 26.17a समरे राम III. 27.4b विग्रहवान्धर्मः I. 21. Ioa विग्रहवांस्तप: 1. 65.2gb विद्याधिको लोके I. 21. IOC विन्ध्यो गिरिः श्रीमान् IV. 52. 31c वीर्यवतां वरः I. 21. Job कैटभस्यार्थे VII. 69.26c For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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