Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 143
________________ उपहारं नृपा ददुः VII. 39.8d उपहारश्च कर्तव्यः II. 28.16a उपहिंसां तपस्विषु II. II6.rgb उपहृत्य ततः पश्चात् VI. 87.4c उपक्रामत काकुत्स्थ: II. 103.6c उपाख्यानशतं चैव VII. 94.25c उपागत्य विनीतवत् II. 52.12b उपागम्य च मे देवः III. 7.Ila उपागम्य पितामहः I.42.15a उपाघ्राय च तं मूर्ध्नि VI. 46.47a उपाघ्राय महामतिः VII. 71.13b उपाघ्रास्यामि ते मूर्ध्नि VII. 7I.I2c उपाजग्मुर्मुदा युक्ता VII. 49.14e उपातिजग्मुर्वेगेन II. 68.15c उपातिष्ठन्त भरतम् II. 91.4Ic उपात्तधनधान्यानि II. 33.18c उपादाय पृथग्विधम् II. 50.37d उपादाय समाकान्तैः II. 15.38a उपाधाय महाबलः II. 61.7d उपाधिर्न मया कार्यः II. III.29a उपाध्यायगणाः सर्वे I. 39.9a उपाध्यायवचः श्रुत्वा I. 61.9a उपाध्यायः स विधिना II. 25.29a उपानयत धर्मात्मा II. 54.17c उपानिन्युस्तथा पुण्याः II. 65.9c उपानीयासनं पूर्वम् III. 46.34a उपानृत्यन्त काकुत्स्थम् VII. 42.22a उपानृत्यन्त भरतम् II. 91.47c उपानृत्यंश्च राजानम् VII. 42.20c उपामन्त्र्य हरीन्सर्वान् V. 57.22c उपायकुशलं वैद्यम् II. I00.29a उपायकुशलो ह्येव VI. 8.12c उपायं कर्तुमर्हसि I. 15.IId उपायतः सहस्राक्षः VI. 123.47a उपायतो महाशूरः III. 36.16c उपायतो महाद्युतिः I. 15.16b उपायनं चोपहृतं महार्हम् II. II5.24b उपायनमुपाहृतम् IV. 38.1b उपायनानि चादाय V.57.33a उपायमपि सेवते V. 36.17b . उपायमेते वक्ष्यन्ति VI. 16.8a. उपायाति समृद्धार्थः VI. 125.I3c उपायाद्राघवस्तूर्णम् II. 71.9c उपायेन महर्षिभि: III. 30.35d उपायेन व्यतिक्रान्ती VI. 50.42c उपायैरभिगच्छामः VI. I9.29a. उपायो दृश्यतां कश्चित् IV. 58.32a उपायो निरपायोऽयम् I. I0.2c उपायः को वधे तस्य I. 16.2a उपारोहत्ससुग्रीवः VI. 40.1c उपालक्ष्य निमित्तानि III. 60.2a उपालब्धोऽपि वक्ष्यसि II. 40.47b उपालम्भभयाश्चैव VI. 76.78a उपालम्भं न शक्ष्यामि VI. 49.Ila , , IOI.16a उपावर्तत रावण: V. 18.32d उपावर्तत वैदेही VI. 16.23c उपावर्तत वै मुनिः I. 2.20d उपावामि मैथिलि VI. 34.13d उपावर्तितुमर्हथ III. 19.23b , IV. 43.57d उपावर्तितुमर्हसि VI. II2.25d उपावृत्तमुदङ्मुखम् IV. 60.14d उपावृत्ता किशोरीव V. 26.2c उपावृत्ते मुनौ तस्मिन् II. 55.IIa उपावृत्त्योत्थिता दीनाम् II. 20.34a. उपावृत्त्योत्थितां ध्वस्ताम् IV. 33.4c उपाश्रयित्वा शैलाभः VII. 17.35c उपाश्रितोऽभूधर्मात्मा II. 73.15c | उपासत तदा रामः VI. 21.IIC Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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