Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 158
________________ एकवेणीधरा दीना V. 65.140 , बाला ,, 57.39c , हित्वा II. I08.8c एकवेणी दृढां बद्ध्वा II. I0.9a एकशुङ्गो वराहस्त्वम् VI. II7.13c एकश्च दण्डकारण्ये III. 47.24c ,, रामो धर्मात्मा III. 24.23c एकसाले स्थाणुमतीम् II. 7I.I6a एकसंवत्सरं क्वचित् III. II.24d एकस्तत्र मया दृष्टः V. 27.29c एकस्त्वकम्प्यो बलवान् VI. 3.18a एकस्त्वचिन्तयं बुद्धया II. 64.2c एकस्त्वमनुजातोऽसि VI. 76.72a एकस्त्वं विजने दूरे I. I0.12c एकस्तिष्ठन्तु ते त्रयः VI. 25.32d एकस्थहृदया नूनम् V. 16.25c एकस्थानमता यत्र VI. 25.28c एकस्य गमनं तात VI. 64.16c , तु विमर्दोऽयम् III. 65.8c ,, नापराधेन III. 65.6a , मरण मेऽस्तु VII. 105.9a , रामस्य वने निवासः II. 37.35a एकस्याः खलु ककेय्याः II. 39.7a एकस्यापि विचिन्तनम् I. 3.29b एकस्यैवाभियाने तु VI. 64.IIa एकहस्तैकपादाश्च V. 17.IIa एका कथंचिन्मुक्काहम् III. 34.12a. एकाकिनं प्रमत्तं वा VI. 65.24a एकाकिनी साऽतिबिभेति भीरुः III. 63.15d एकाकी किं नु मां त्यक्त्वा VI. I01.20a एकाक्षानेकवर्णाश्च V. 4.17a एकाक्षिपिङ्गलीत्येवम् VII. 13.31a एकाक्षीमेककर्णां च V. I7.5a , ,, ,, 22.33a एकाक्षीमेकपादी च V. 22.34c एका गर्भविनाशार्थम् I. 70.3xa ,, गर्भविनाशाय II. IIO.I9c ,, चरसि कल्याणि III. 46.32a ,, जनयिता तात I. 38.8a ,, तु तस्य राजर्षेः VII. 58.8a एकादशानां कोटीनाम् IV. 39:32a एका दीना अनाथवत् VII. 49.5d एकान्त ऋषिसंवातः VII. 93.2c एकान्तगतमानसम् IV. 29.2d एकान्तमाश्रित्य सुखोपविष्टम् IV. 65.35b एकान्ते पश्य भगवन् II. 54.26a ,, वृक्षमूले तु IV. 48.23e एकामभयदक्षिणाम् II. 64.39d एकामेकस्तु पश्येयम् V. 2.36c एकावलीमध्यगतम् VI. 22.21c एका सर्वभयंकरा. III. 17.21b एकाहमपि पश्येयम् II. 12.48a एकाहं जागरिष्यति VI. 61.27d ,, दर्शनेनापि II. 34.33c एकाहा राजपुत्रीणाम् I. 72.12a एकां धरणिमाश्रिता VI. 5.Iod एकांशो वासवं यातु VII. 85.7a एकीकृतभुजाः सर्वाः V.9.62c एकेन खलु बाणेन II. 63.39c , च बहूजनान् II. 23.36b ,, बहवो भग्नाः VI. 66.27c ,, ब्रह्मदण्डेन I. 56.23c , वानरेणेयम् VI. 60.75a , विनिपातिताः VII. 35.6b ,, सह संगम्य VI. I26.17a एकेनान्तककल्पेन VI. 69.75a एकेनाहं प्रमोक्ष्यामि IV. 14.IIa एकेनाला त्वसौ वीरः VI. 61.28a एकेनांशेन वत्स्यामि VII. 86.13a एकेनांशेन सर्वदा VII. 86.14b | एकेनेन्द्रजिता हीना VI. 92.IIC Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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