Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 147
________________ १४० उवाच पथ्यं पुनरास्तिकं च II. 109.370 उवाच परमकुद्धा V. 58.70c उवाच परमत्रस्ताः V. 25.2c उवाच परमप्रीता I. 33.15c उवाच परमप्रीतः I. 26.27c ,, , ,, 39.Ic ,, , V. 60.14c ,, ,, VI. 46.IIC ,, ,, VII. 82.8c उवाच परमां वाणीम् I. 38.IIC उवाच परमार्तवत् II. 58.4d उवाच परमार्ता तु II. 24.18c उवाच परमार्थवित् II. 63.48d उवाच परमोदारः I. 18.50a , , ,, 34.2c उवाच परया प्रीत्या VII. 52.17c उवाच परया सूक्त्या II. I09.IC उवाच परिधत्स्वेति II. 37.6c उवाच परिपूर्णार्थम् VI. 4.44a उवाच परिसंहृष्टः IV. 67.31a उवाच परुषं वाक्यम् II. 14.20c उवाच पवनात्मजम् VI. II3.23d , 127.22d उवाच पित्रोर्वचने व्यवस्थितम् II. 23.41c उवाच पुरुषोत्तमः II. 49.13d उवाच पुरुषं व्याघ्रम् II. 20.35c उवाच प्रश्रितं वाक्यम् III. I3.0c उवाच प्रहसन्निव 1. 39.3d " , , 52.12d उवाच प्राञ्जलिर्बाष्प II. 34.21c उवाच प्राञ्जलिर्भूत्वा II. 92.20a , , VII. 56.Ic " , , 72.9c उवाच प्राञ्जलिर्वाक्यम् I. 47.8a " , ,, 67.20c उवाच प्राञ्जलिर्वाक्यम् VI. 125.36a " , VII. 54.Ic , 72.3c , , , 76.9c उवाच बाढ मित्येव VII. I00.14c उवाच वाढं गच्छध्वम् VII. I08.34c उवाच भरतश्चित्रम् II. IC6.2a उवाच भरतं तत्र VII. 44.6c . उवाच भरतं वाक्यम् II. I03.7c उवाच भूयः कौसल्याम् II. 21.45c उवाच मधुरस्वरम् I. 27.1d उवाच मधुराक्षरम् VII. 38.21b उवाच मधुरा वाणीम् I. 74.12a " VII. 49.ba " ,, 63.18e ,, , 69.24a उवाच मधुरोदर्कम् III. 57.17a उवाच मातलिं रामः VI. I06.9a उवाच मा वधिष्टेति VI. 20.19c उवाच मुनिपुंगवौ I. 72.9d उवाच मृदु मन्दार्थम् II. 42.26c उवाच मेघसंकाशम् VI. II4.6c उबाच मैथिली वाक्यम् VII. 47.3c उवाच युवनाश्वजम् VII. 67.9d उवाच रक्षसां मध्ये III. 22.IC ,, ,, VI. 64.19c उवाच रघुनन्दनम् VII. 4I.b " 84.Id , 98.IId उवाच रघुनन्दनः II. II9.16d " , IV. 27.5d " , VII. 62.7d ,, , ,, 64.Id उवाच रसयुक्तेन II. 2.5c उवाच राक्षसेन्द्रं तम् VII. 8.6c " " Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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