Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 133
________________ 23 उत्तरस्यां पुरद्वारि VI. 36.rga उत्तरस्यां रघुश्रेष्ठः I. 40.22a उत्तराः कुरवस्तत्र IV. 43.38c उत्तराच जलं शीघ्रम् VI. 128.560 उत्तराणि च कार्याणि V. 36. 150 उत्तरान्ताद्विनिःसृता V. 1. 63b उत्तरां तु दिशं रम्याम् IV. 45.4c उत्तरां दिशमालोच्य V. 27.19a उत्तरां दिशमुद्दिश्य I. 31. 16c VI. 127.61c उत्तरान्वीर मत्स्यानाम् II. 71.5c उत्तराफाल्गुनीय VI. 4. 5a उत्तरामगमच्छ्रीमान् VII. 75.100 उत्तरीयं गृहीत्वा तु IV. 6.15a उत्तरी तया त्यक्तम् IV. 6. IIc उत्तरीयं नगासक्तम् V. 15.450 उत्तरीयमिदं भूमौ IV. 6.20c उत्तरीयमिहासक्तम् II. 88.1ga उत्तरीयं वरारोहा III. 54.2c उत्तरे जाह्नवीतीरे I. 31. ISC उत्तरेण दशग्रीवः VII. 29.16a उत्तरेण परिक्रम्य IV. 40.59a उत्तरेण विनिष्क्रम्य VI. 110.3a उत्तरेणावकाशोऽस्ति VI. 22.29a उत्तरेणास्य गन्तव्यम् III. 13.21c उत्तरे दिवसे ब्रह्मन् I. 72.13a उत्तरे पर्वते राम I. 63.16a उत्तरेभ्यः कुरुभ्यश्च II. gr.3ra उत्तरेषु तथा लवम् VII. 107.7d " " उत्तरे सागरे संध्याम् VII. 34.31a उत्तरोत्तरयुक्तीनाम् II. 1. 17c उत्तरोत्तरयुक्तौ च II. 2.43a उत्तरोत्तरवादिनम् VI. 79.17d उत्तरं श्रोतुमनसः VII. 98.25a Jain Education International " १२६ उत्तरं सागरं प्रायात् VII. 34.29c उत्तरं साधु चिन्त्यताम् IV. 17.53d उत्तरं संप्रधावितः IV. 46.1gd उत्तस्थुरन्ये च हरिप्रवीरा: VI. 74.6gd उत्तस्थुः सायुधास्तं च VII. 32.28 उत्तस्थौ धातुरप्रतः VII. 36. Id उत्तस्थौ नागशयनात् VII. 37.1IC उत्तस्था मूर्तिमानाशु VI. 118.2c उत्तस्थौ हर्षसंपूर्णा II. 7.31c उत्तारयितुमर्हसि IV. 52.23b उत्तिष्ठ कुरु कल्याणम् II. 9.54c उत्तिष्ठ गिरिसत्तम V. 1.92d उत्तिष्ठत प्रबुध्यध्वम् II. 89. ga उत्तिष्ठ तावदाख्याहि III. 19.2a उत्तिष्ठतेऽनेक सहस्ररश्मि: V. 2.54d उत्तिष्ठते च शीतांशुः I. 34.17a उत्तिष्ठ त्वं महाबाहो II. 111.23c उतिष्ठ नरशार्दूल I. 23.2c II. III. 8a 23 "" "" 19 VI. 83.43a उत्तिष्ठन्तौ परंतप III. 32.16d उत्तिष्ठ पश्य किं शेषे VI. 101.21a उत्तिष्ठ पुरुषव्याघ्र II. 102.7a उत्तिष्ठ भगवन्नितः I. 29.18d उत्तिष्ठ मूढे किं शेषे II. 7.14a उत्तिष्ठ सुकृतं तेऽस्तु II. 57.30 उत्तिष्ठ सुमहाराज II. 14.51a उत्तिष्ठ हरिशार्दूल IV. 20.5a 27 "} 19 66.36a उत्तिष्ठेत्तु विभावसोः VII. 30.13b उत्तिष्ठोत्तिष्ठ कस्मात्त्वम् V. 63.2a उत्तिष्ठोत्तिष्ठ किं शेषे II. 72.24a VI. III. 81c " "}} उत्तिष्ठोत्तिष्ठ भद्रं ते I. 35.20 उत्तिष्ठोत्तिष्ठ मा मैवम् III. 21.5c For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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