Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 129
________________ १६६ इह लोके च पितृभिः II. 29.18a इह लोके परत्र च VI. II7.3rd इह वत्स्याम सौमित्रे III. 15.19c इह वर्षसहस्राणि I. 48.29c इह वा किं निमित्तं त्वम् III. I7.Iga इह वा मां मृतां कुब्जे II. 95.8a इह वा वनवासाय II. 54.32c इह वासः परोऽस्माकम् I. 23.17c इह वासं न रोचये II. 54.25d इह वासं प्रतिज्ञाय III. 13.16c इह वासश्च कान्तारे III. 46.24a इह शाखामृगाः सिंहाः III. 46.29c इह शीघ्रं सुपर्वाण: V. 21.25a. इ. शेषे महाबाहो VI. 32.16a इह श्रुता मया देवि VI. II3.30a इह सन्तो न वा सन्ति V. 21.9a इह संपातिना सीता V. 13.5c इह सर्वाणि माल्यानि III. 55.28c इह सीता तथा कुरु III. 13.4b इह सीतां शिरःस्नाताम् VI. II4.7c इहस्थस्त्वं हि लोकानाम् IV. 62.13c इहस्थां मां न जानीते V. 26.15a इह स्थास्यामि भद्रं व: I. 39.16c . इहस्थो वनदुर्गस्थम् II. 82.150 इहस्थोऽहं प्रपश्यामि IV. 58.29a इह हत्वा स राक्षसम् V. 37.64b .. इह हैमवते पावें I. 37.17a इहागतं मां सहितं भवद्भिः VI. 59.34a इहागतेन रामेण I. 51.9c . इहागतो महातेजाः I. 51.8c इहागतो वानररूपधारी V. 54-36c इहागतो हि पुत्रत्वम् VII. 51.18a इहाचरस्व धर्म त्वम् II. 28.3c इहाद्य रजनीमेकाम् I. 47.19a इहाद्य रजनी राम I. 23.16a इहाद्य रजनी राम I. 26.33c इहानयस्व ताशीघ्रम् IV. 37. IIC इहानेतुं स वीर्यवान् I. 9.14d इहाभ्युद्तमानसः V. 58.105d इहाम्बाया निवेशने II. 72.12b इहायस्यति धर्मराट् II. 14.65b इहावर्तयितुं नराः II. I9.13d इहाश्रमपदेऽस्माकम् III. 43.IIa इहाश्रमपदोऽस्माकम् I. I0.15a इहाश्रमपदं रम्यम् III. I5.10c इहासीना सुखं सर्वम् VI. 34.18a इहास्ति नो नैव भयं पुरन्दरान् IV. 53.26c इहास्मान्द्रष्टुमागतः II. 97.2nd इहाहं यदि तिष्ठामि V. 2.43a इहेदानी विचिन्ता सा VI. 4.97c इहैकदा किल क्रूरः III. II.55a इहैताराक्षसानिति VI. II.18b इहैत्य पुनराह्वानम् IV. 15.IIC इहैव तावत्कृतनिश्चयो ह्यहम् V. 41.7a इहैव ते सेत्स्यति मोत्सुको भू: VI. 64.35c इहैव त्वाभिषिञ्चन्तु II. 106.26a इहैव देहं त्यक्ष्यामि VI. 49.IIc इहैव निधनं यामः II. 47.7a इहैव नियताहार: V. 13.52a इहैव प्राणसन्यासः V. 55.12c इहैव प्रायमासिष्ये IV. 53.19e , ,, 55.12c इहैव मरणं श्रेयः VI. I0I.18a इहैव वस दुर्मेधे VII. 8I.I3c इहैव सह वैदेह्याः III. 5.1ga. इहैव सीतामन्वीक्ष्य IV. 53.24a इहेव स्थीयतामिति III. 5.20b इहवाद्य वसामहे II. 50.27d इहोपयातः काकुत्स्थ III. 7.100 इहोपयात्यसौ रामः III. 5.22a For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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