Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 124
________________ इन्द्रजित्त्वप्रतः सन्यात् VII. 25.34c इन्द्रजित्त्वात्मनः कर्म VI. 46.IIa , ,, 88.21a इन्द्रजित्समरे वीरः VI. 88.55c इन्द्रजित्समितिंजयः VI. 46.28b , 80.16b ,, 88.17d ,, 90.56d VII. 30.8b इन्द्रजित्स रथं दिव्यम् V. 48.25a इन्द्रजित्सुमहावीर्यः VI. 81.3c इन्द्रजिद्धन्ति राघव VI. 19.13d इन्द्रजिद्रावणात्मजः VI. 83.8d इन्द्रजिद्वा निकुम्भो वा VI. 57.6c इन्द्रजिन्मन्त्रसंहितैः VI. 73.61b इन्द्रजिलक्ष्मणश्चैव VI. 88.72c इन्द्रत्वमकुतोभयः VII. 85.2Id इन्द्रदत्तं शिखिप्रभम् VI. II2.4d इन्द्रध्वज इवोद्भूतः IV. 16.37a इन्द्रनीलनिभोदरः III. 42.17b इन्द्रनील महानील V.9.16c इन्द्रनीलोत्पलश्रवाः III. 42.16d इन्द्रप्रमुक्ता गर्जन्ती VII. 27.49c इन्द्रः प्राञ्जलिरुद्विमः II. 74.19c इन्द्रमस्यां तु वेलायाम् II. 14.48a इन्द्रमाशंसमानस्तु VII. 35.42a इन्द्रमिन्द्रानुजं चैव I. 62.25c इन्द्रमेव ब्रुवाणं तम् VII. 67.12a इन्द्रं मायापरिक्षिप्तम् VII. 29.26c इन्द्रयज्ञमथाकरोत् VII. 55.IId इन्द्रयज्ञावसाने तु VII. 55.13c इन्द्रलोकं गतः श्रीमान् VI. II9.8a इन्द्रलोकं गतो राजा I. 42.10a इन्द्रलोकं तथापरः I. 47.5b इन्द्रलोकं दशाननः VII. 27.1d इन्द्रलोकं विमानेन VI. II9.36c इन्द्रवज्राभिताडित: VII. 35.47b इन्द्रशत्रुश्च बलवान् VI. 9.2c इन्द्रशत्रो स ते वधः VI. 85.14d इन्द्रशापादिदं रूपम् III. 71.8a इन्द्रश्च रावणश्चैव VII. 29.2a इन्द्रश्चलित आसनात् VII. 27.3b इन्द्रश्चिन्तापरीतात्मा VII. 30.17c इन्द्रस्तु प्रहसन्वाक्यम् I. 48.21c इन्द्रस्तु मेषवृषणः I. 49.10a इन्द्रस्य च भयं तीव्रम् VII. 67.7a इन्द्रस्य भवनं गत्वा VII. 35.33a इन्द्रस्यापि पुरी भवेत् V. 9.30d इन्द्रस्येवामरावतीम् I. 5.15d ,, VII. 33.4d इन्द्रस्यैव चतुर्भाग: III. I.Igc इन्द्रहस्तगतामिव V. 20.28d इन्द्रायुपरि भास्वरम् VII. 35.45d इन्द्रायुधसवर्णेन III. 42.18c इन्द्रार्थममितौजसा VI. I08.5b इन्द्राशनिसमप्रख्यम् VI. 65.Iga इन्द्राशनिसमस्पर्शम् VI. 98.2IC इन्द्रियाणां जयं बुद्धया II. I00.6ga इन्द्रियाणां प्रवर्तने V. II.42b इन्द्रियाणि चकम्पिरे IV. 1.2b इन्द्रियाणि निगृह्य च II. 19.35b इन्द्रियाणि पुरा जित्वा VI. III.I5c इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेस्तु V. 9.29c इन्द्रियार्थेषु तिष्ठन्तम् VI. 93.22c इन्द्रियार्थैरभिमतैः I. I0.4a इन्द्रियाश्वः परिभ्रान्तैः VII. 7.30c इन्द्रियैः कामवृत्तः सन् IV. 17:340 इन्द्रियैरजितै राम I. 64.16c इन्द्रियैर प्रहृष्टैस्तम् II. 18.5a इन्द्रियैरेव निर्जितः VI. III.16b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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