Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 69
________________ अलंकारविदश्चैताः VI. 121.3a अलंकारविधिं सम्यक् II. 6.5c अलंकारेण वेषेण IV. 12.30a अलंकारैश्च विविधैः IV. 25.29c अलंकारो हि नारीणाम् I. 33.7a अलं कालात्ययं कृत्वा VI. 79.400 अलंकुरु च तावत्त्वम् II. 11g.ra अलंकृत इवाभाति III. 16.4c अलंकृतं तं सुतमात्रजन्तम् II. 12. 103b अलंकृतममित्रघ्नः VI. 88.4 अलंकृतमिवात्मानम् II. 3.38a अलंकृताभिरत्यर्थम् V. 49.1oa अलंकृतोऽयं देशश्च III. 13.8a अलंचकार तां वेदिम् I. 73.21a अलं चन्द्रादिव प्रभा II. 39.28d अलं जित्वा निवर्तिष्ये IV. 16. IOC अलं ते घृणया राम I. 26.21c अलं ते परिहासेन III. 62.50 अलं ते हरितेनाद्य III. 61.4c अलं त्रासेन सुग्रीव VI. 46.30 अलं देवि विकाङ्क्षया V. 37.40b अलं द्विजो मन्त्रमिवाद्विजाय V. 28.5d अलब्धवर पूर्णन VII. 10.38c अलमय हि भुक्तेन II. 17.1oa अलमश्रुनिपातेन V. 24.33a अलमस्मान्परित्रातुम् V. 58.88c अलमेकोऽपि नाशाय V. 59.140 अलमेषा परित्रातुम् V. 27.39c अलम्बुषा मिश्रकेशी II. 91.47a अलम्बुषायामुत्पन्नः I. 47. 12a अलर्कश्चक्षुषीं दत्वा II. 12.43c अलं राक्षसराजेन्द्र VI. 63.30c अलं वत्से रुदित्वा ते VII. 24.32c अलं वारयितुं बलात् II. 23.29d अलं विक्लवतां गन्तुम् III. 59.14a Jain Education International अलं विमर्शेन मम प्रियं ध्रुवम् IV. 11.920 अलं विरोधेन शमो विधीयताम् VI. 25.33c अलं विषादेन बिलं प्रविश्य IV. 53.250 अलं वीर व्यथां गत्वा IV. 27.34a अलं वैक्लव्यमालम्ब्य IV. 7.5a अलं व्रीडेन वैदेहि III. 55.34c अलं शोकेन भद्रं ते II. 76.2a अलसाः स्वादुकामाच II. 32.1gc अलातचक्रप्रतिमम् III. 23.3c अलातचक्रप्रतिमा IV. 46.13c अलातचक्रप्रतिमाम् VI. 93.270 • अलातसदृशेक्षण III. 18.17b अलीकं मानसं त्वेकम् II. 19.6a अलुब्धाः सत्यवादिनः I. 6.6d अल्पं ज्ञात्वा महामुने I. 66. 1gd अल्पपर्णा हि तरवः II. 119.7a अल्पपुण्या त्वहं घोरे VI. 111.31a अल्पपुण्ये निवृत्तार्थं VI. 31.170 अल्पबुद्धे हरस्येनाम् III. 51.24c अल्पभाग्या हि मे माता II. 53.24a अल्पभृत्यबलानुगः VII. 71.1d अल्पयत्नेन कार्येऽस्मिन् V. 54.40 अल्पवीर्या यदा यक्षी I. 25.2a अल्पं वा यदि वा बहु II. 30. 15b अल्पशेषमिदं कार्यम् V. 41.2a अल्पान्तरगतानां तु IV. 19.17a अल्पापराधे काकुत्स्थ VII. 54.2a अल्पामध्यापदं प्राप्य II. 39.21c अल्पायुरसि राघव VI. 32.12d अल्पावशेषास्ते यक्षाः VII. 14.160 अल्पाहारां तपोधनाम् V. 19.20d अल्पैरहोभिर्निघनम् VII. 73.6a अल्पोष्ण क्षुब्ध सलिलाम् II. 114.42 अवकाशो न सानस्तु V. 2.27a अवकाशो विविक्तोऽयम् II. 54.22a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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