Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 89
________________ आकाशनिलयाश्चैव III. 6.4c आकाशं तदनाकाशम् III. 23.7c आकाश नगराणि च IV. 47.2b आकाशप्रभवो ब्रह्मा II. 110.ja आकाशमभवत्तदा I. 43.22b आकाशमवलोकयन् V. 1. 35d आकाशमात्रृतं दृष्ट्वा VII. 69.31c आकाशमा विविशुः VII. 23.33c आकाशमित्र दुष्पारम् IV. 64.7a आकाशं पक्षिभिर्वृतम् II. 103.44b आकाश पतितौ दूरात् IV. 61.3c आकाशं पश्य लक्ष्मण III. 64.59b आकाशयुद्धं तुमुलम् VII. 23.34c आकाशवर्णप्रतिमान् II. 91.78e आकाशं विविशुः सर्वे VI. 45.4c आकाशं शस्त्रसंकाशम् V. 1. 98c आकाशं सागरं दिशः VI. 71.48b आकाशादपतद्राम I. 43.5a आकाशाद्विधनात्तीवात् VI. 53.14a आकाशाभिपपात ह V. 62.36d आकाशे कनकप्रभम् III. 52.17b आकाशे गणशः स्थित्वा VI. 8.17a आकाशेऽमशिखामिव VI. 13.11d आकाशे च महाञ्छन्द: I. 30. IOC आकाशे चापि देवानाम् VI. 90.85a आकाशे रमणैः सह V. 1. 26d आकाशे रावणाङ्कगम् III. 52. 18b 20d आकाशे विबुधानुगम् III. 5.5d आकाशे विष्ठितां दीनाम् II. 74.18c आकाशे विष्ठिताः शूराः VII. 23.40c आकाशे संजघट्टिरे VI. 88.6gb आकाशे समुपस्थितः V. 1. 103b आकाशे प्रभम् III. 52.2rd आकुलं पालयिष्यसि II. 12.grd 39 33 " "" Jain Education International ८२ ड आकुलां नगरीं कृत्वा V. 57.12a आकुलामिव पद्मिनीम् V. 19.15d आकुलां वानरी सेनाम् VI. 73.48c आकृष्य मुकुटं चित्रम् VI. 40. IIC आक्रन्दमानं तु वने III. 45.3a आक्रन्दः श्रूयते महान् III. 73.35b आक्रन्दिता निरानन्दा II. 67.1a आक्रमिष्यति दुर्बुद्धि: IV. 11.55a आक्रम्य लोकालोकार्थी I. 29.20c आक्रम्य वरदानेन VII. 6.14c आक्रम्याक्रम्य सीतां वै VI. 13.40 आक्रान्तो दुःखशैलेन II. 85.20c आक्रीडद्विश्व वाजिभिः VI. 11.7d आकी भूमिः क्रुद्वस्य VI. 93.34c आक्रीड | विविधान्र म्यान् V. 2. 120 आकुश्य तु महास्वनम् III. 44.2 b आक्रोश मम मातुश्च II 106.30a अक्षिताः क्षिप्यमाणाच VI. 69.56a आक्षिप्य च शिलाः शैलान् VI. 69.58a आख्यातं च हनूमता VI. 32. Id आख्यातं परमं प्रियम् II. 7.34b आख्यातव्यमशेषतः III. 49.4od आख्यातं शरभङ्गेन III. 7. 150 आख्यातस्तेन सुग्रीव: IV. 4. 150 आख्यातं हि मया गत्वा V. 64.90 आख्याता केन वा सीता III. 31.42a अख्याता गृध्रराजेन IV. 64.1a V. 13.50 आख्यातानि च तत्त्वेन VI. 19.18c आख्याता वायुपुत्रेण VI. 5.9c आख्याति तु प्रसुप्तस्य VI. 101.27c आख्याति हृदयं हृदा I. 77.28b आख्यातुं तत्समारेभे I. 45.130 आख्यातुं तद्यथावृत्तम् VI. 21. IC आख्यातुमुपचक्रमे II. 72.41b .. .. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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