Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra
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आदित्यमुपतिष्ठन्ति IV. 42.42a. आदित्यमुपतिष्ठन्ते II. 95.7a आदित्यमुपयातौ स्वः IV. 58.4c आदित्यं पर्युपासते VII. 81.22b आदित्यं पातयिष्यामि VI. 63.52c आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदम् VI. I05.29a आदित्यरश्मिनिर्दग्धौ IV. 63.Ila आदित्य विमलाभौ द्वौ II. 31.30c आदित्यशतसंकाशः V. I.99c आदित्यः सविता सूर्यः VI. I05.10a आदित्यः सह चन्द्रेण II. 14.50a आदित्यस्य प्रभा यथा III. 47.37d आदित्यस्योदये ततः II. 67.2b आदित्यहृदयं पुण्यम् VI. I05.4a आदित्यादग्निमण्डलम् VI. 23.6d
, 4I.15d आदित्याय नमो नमः VI. I05.17d आदित्या वसवो रुद्राः III. I4.15a , , , VII. 97.70 आदित्यांश्च वसून्रुद्रान् VII. 27.4a आदित्यांश्च वसुंस्तदा VII. 29.31b आदित्येन प्रसन्नन IV. 42.38c आदित्येऽभ्युदिते रात्रौ VI. 67.168c आदित्ये विमले नीलम् VI. 23.9c आदित्योदयसंकाशैः V. I.97c आदित्यो निष्प्रभश्चासीत् VI. 65.5IC आदित्योऽसौ सहस्रांशुः IV. 39.2c आदिदेवो महाबाहुः VI. 128.II7c आदिदेश परंतपः VI. 45.3d आदिदेश महाबलः VI. 60.15b आदिदेशाग्रतो राज्ञः II. 3.8a आदिदेशाथ शत्रूणाम् VII. 29.9c आदिदेशाथ संक्रुद्धः VI. 80.2b. आदिप्रभृति गेयं स्यात् VII. 93.14a आदिप्रभृति वै राजन् VII. 94.26a.
| आदिमुक्तं त्वया वचः III. I0.20d
आदिवंशविशुद्धानाम् I. 70.44a आदिशद्दक्षिणां दिशम् IV. 41.6d आदिष्टा मार्गितुं सीता IV. 55.6c आदिष्टा वानरेन्द्रास्ते VI. 75.42a आदिष्टा वानरेन्द्रेण V. 35.53a
, , VI. 126.40a आदीप्तानिव वैदेहि II. 56.6a आदेक्ष्यावो महावेगान् VI. 80.40c आदेशो वनवासस्य II. 29.Ioa आद्यः पन्थाः कुलिङ्गानाम् IV. 58.24c आद्वारमनुवव्राज II. 16.21c आधयः पीडयन्ति वै IV. 1.5b आधारं सर्वलोकानाम् VII. 6.2c आधावमानं मुर्शलम् VII. 32.45a आधिराज्येऽभिषिच्यन्ते VI. 48.6c आधिराज्येऽभिषेको मे VI. 48.14a आनन्तर्यमभिप्रेप्सुः VI. 41.59a भानन्तर्याद्विधास्यामि IV. 8.42c आनम्य मूर्ध्नि चाघ्राय II. 25.40a आनय त्वं हि तां सीताम् VII. 98.ga आनयद्राघवाभ्याशम् VI. 59.II7a आनयध्वं ममाज्ञया I. 59.7d
O , VII. 63.11d आनयध्वं वशं सर्वाः III. 56.3Ic आनयध्वं समाहिताः VII. 63.1ob आनयन्तु पुरं मम I. 67.25b आनयन्तु सुशीघ्रगाः I. 67.26d आनयन्तु हरीन्सर्वान् IV. 37.15c आनयस्व जरां पुत्र VII. 59.IOC आनयस्व नृपाज्ञया I. 13.29d आनयस्व पशुं शीघ्रम् I. 61.8c आनयस्व सखे शीघ्रम् IV. 6.13c
आनयस्व समन्त्रिणम् I. 70.12b | आनयामास ता गावः II. 32.39c
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