Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 107
________________ १०० •आश्रमाणां विनाशनम् VII. 102.4b आश्रमाणि कृताने नः VII. 6.5b आश्रमाणि च पुण्यानि I. 6I. I0c आश्रमात्तु ततस्तस्मात् III. 75.10c आश्रमात्सहितो मया III, 4.igb आश्रमादपवाहितः III. 59.25d आश्रमादमिनिर्गत: III. 50.20d आश्रमादुपनिष्क्रान्तम् II. 92.4c आश्रमान्क्रमशो राजा I. 51.22c आश्रमान्ते यशस्विनीम् VII. 52.0b आश्रमान्तेषु च मया VII. 47.1.40 आश्रमान्प्रजिहासवः II II6.18b. आश्रमे तस्य रामस्य III. 36.18c , , 40.18a आश्रमे तात वर्तते II II6.13b आश्रमे परमर्षिणा VII. 30.30d आश्रमे वासमभ्ययात् VII. 66.15d आश्रमेषु महर्षिणाम् VII. 36.28c आश्रमेयूटजांस्तथा II. 91.9b आश्रमे संप्रवेशिताम् VII. 50.1b आश्रमे सुसमाहिता VII. 81.13d आश्रमेऽस्मिन्वसिष्यसि I. 48.30d आश्रमरविदूरस्थैः II. 50.13a आश्रमो दिव्यसंकाशः I. 48.15c ,, ,, VII. 45.18a आश्रमो दृश्यते तस्य III. II.79c आश्रमो नातिदूरस्थः III. II.78c आश्रमो नो भविष्यति VI. I26.23d आश्रमोऽयं त्वयाक्रान्तः III. 7.8c आश्रमं यत्र स मुनिः II. II3.5c आश्रमं शरभङ्गस्य III. 5.30 आश्रमं श्रमनाशनम् IV. 13.17b आश्रमं समुपागम्य VII. 88.16a आश्रमं सह सीतया III. 15.26b आश्रम सिद्धसेवितम् IV. 43.31d आश्रमं सुदुराधर्षम् IV. 13.20c आश्रमं यवलोकयन् III. I2.17b आश्रयश्चासि पूर्वजः VI. II7.10b आश्रये नियमं घोरम् VII. 17.170 आश्रिताश्चित्रकार्मुकः V. 48.25.) आप्रितेत्यानृशंस्यत: V. 15.50b आश्रितो दक्षिणं पार्श्वम् VI. 24.15c आश्रित्य परमासनम् VI. 60.4) आश्लिष्य च पुनः पुन: VILL 40.0b आश्वयुक्समये मासि IV. I0.370' आश्वसिहि नर श्रेष्ठ III. 66.6a आश्वस्तश्न विशल्यश्च VI. 59.1201 आश्वस्य च मुहूर्त तु II. 4.48.c आश्वस्य निर्याहि रथी सधन्वी VI. 59.1/IC आश्वासयत लक्ष्मणः II 53.28d आश्वासयन्तं भरतम् II. I08.TA. आश्वासयन्ती विविधश्च वाक्य: .4.1.30a आश्वासयन्न प्रतिमर्वचोमिः I. 74.2d आश्वासयनुवाचेदम् VI. I0I.23a आश्वासय हरीन्प्राणैः VI. 74.3-40 आश्वासयामास तदा VI. 33.2c आश्वासयामास न चैव भर्तुः III. 45. OC आश्वासयामास हरीन IV. 64.8c आश्वासयितुमर्हथ IV. 55.15b आश्वासयित्वा च चमू महात्मा II. 89.22a आश्वासिता तेन महात्मना तु IV. 21.44c आश्वासितो लक्ष्मणेन VI. 5.23a आश्वास्य पुरुषर्षभ: VI. 9I.I2d आश्वास्य भरतं दीनम् VI. II().4a आश्वास्यमान सचिवैः V. 49.13c आषाढीमभ्युपगतः IV. 28.55c आसनं चास्य भगवान् I. 52.2c आसनं पादमर्थ्य च VII. 65.6c आसनं पूजयामास II. 91.39a आसनस्थ महाबाहुः VI. IO.IOC Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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