Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 106
________________ आशामेष्यति जीविते VI. 4.4d आशां प्रतिहतामिव V. 15.33d " , , I9.IId आशीर्गेयं च गाथानाम् II. 65.6c आशीभिर्गणयुक्तामिः II. 15.21a आशीभिरमिनन्दितः V. I.126d आशीभिश्च प्रशस्तामि: VI. 69.15c आशीभिः समपूजयन् VII. 91.6d आशीर्वादान्बहूशृण्वन् II. I7.7c आशीर्वादैः समन्ततः VII. 82.16b आशीविष इव क्रुद्धः V. 38.24c " , , 67.7c आशीविष इवाजेन II. 7.27c आशीविषमनागसम् III. 19.3b आशीविषमुखाइंष्ट्राम् III. 31.44c आशीविषविषप्रख्यम् VI. 90.66c आशीविषविषोपमैः VI. 85.IId " , 90.I9b आशीविषसमं क्रुद्धम् VI. 88.IIC आशीविषस्य वदनात् III. 47.39c आशु पुप्लुविरे तदा VI. 4.22d आशंसते जनः सर्वः II. 2.51a आशंसते महाप्राज्ञ II. I00.64c आशंसेते यथा लङ्काम् VI. 28.7c आशंसे त्वत्कृतेनाहम् II. 52.5IC आशंसेयं हरिश्रेष्ठ V. 37.14a आशंसे वाशिता सेना II. 84.18a आशां संश्रुत्य यो हन्ति IV. 30.7IC आश्चर्यकामां कैकेयीम् II. 92.26c आश्चर्यभूतं भवति III. 43.16c आश्चर्यभूतान्ददृशुः III. I.I4c आश्चर्यमिति च ब्रताम् VII. 89.Ic आश्चर्यमिति चाब्रवीत् III. 74.30d आश्चर्यमिति तस्यैतत् III. II.20a आश्चर्यमिति रामश्च VII. 30.51c आश्चर्यमिदमाख्यानम् I. 4.26c आश्चर्यमिव पश्यामि II. 35.14a आश्चर्याणां बहूनां हि VII. 96.36a आश्चर्याणि बहूनीह VII. 7I.23c आश्चर्य वर्तते सौम्य VII. 77.20c आश्चर्य स्मारितोऽस्म्यद्य VII. 30.53a आश्रमः कतरस्मिन्नः III. I5.3c आश्रमं च महात्मनः III. I.Id आश्रमं चिरसंवृद्धम् I. 55.27a आश्रमं तत्तयोः शून्यम् V. 21.30a आश्रमं तमहं प्राप्य II. 64.3c आश्रमं तमुपागम्य III. 17.2a आश्रमं तस्य धर्मज्ञ II. 92.8a आश्रमद्वारमागम्य III. 42.26c आश्रमध्वंसनं चापि VI. 6I. Ige आश्रमं दृश्य राघवः I. 48.IIb आश्रमं पुण्यकर्मण: I. 49.IIb आश्रमं पुण्यकर्मणाम् VII. 46.3b आश्रमं प्रतियाते तु III. 24.Ia आश्रमं प्रविवेश ह I. 49.12d ., VII.59.17d आश्रमं प्राविशदामः VII. 82.2c आश्रमं भटरूपधृक् III. 9.17d आश्रममृषिविरहितं प्रभुः II. II6.26a आश्रमः श्रमनाशनः I. 29.22b आश्रमस्थं महाबलम् V. 37.25b आश्रमस्थानमतुलम् III. 73.28c आश्रमस्थानमुत्तमम् II. 54.26b आश्रमस्था मम प्रिया IV. 1.25b आश्रमस्थेन सीतया III. 43.49d आश्रमस्य समीपेऽस्मिन् VII. 65.38c आश्रमस्यानुरूपाणि II. 56.33c आश्रमस्याविदूरतः VII. 80.18b आश्रमस्याविदूरे मे VII. 49.Ila आश्रमस्याविदूरेऽस्मिन् I. I0.7c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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