Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 100
________________ आप्लवन्तः प्लवन्तश्च VI. 4.26a " , , 22.73a , , , 42.19a आप्लवन्तो हरिवरा: IV. 2.IIa आप्लवेयुमहार्णवान् I. I7.27d आप्लुत्य गिरिशृङ्गेषु V. 57.44a आप्लुत्य च महावेग: V. 57.1a आप्लुत्य तं चौषधिपर्वतेन्द्रम् VI. 74.58c आप्लुत्य दशनेस्तीक्ष्णैः VI. 44.7c आप्लुत्य प्लवगर्षभः V. 37.36b आप्लुत्य सहसा सर्वे VI. 79.IC आप्लुत्याप्लुत्य समरे VI. 93.12e आप्लुन्योप्लुत्य वेगितैः VI. 52.14b आबध्य च कलापो द्वौ III. 44.2c आवध्य च शुभे तूणी III. 8.Ira आबध्यन्तां पताकाश्च II. 3.17a आवध्यमानः कवचं रराज VI. 65.30c आवध्य शरसंपूर्ण VII. 6.64c आवन्धिष्येऽथवा त्यक्ष्ये III. 45.36c आबबन्ध महातेजाः VI. 65.25c आबबन्ध महात्मनः VI. 65.26d आबभाषे गजस्तत्र IV. 63.3a आबभाषे च तौ वीरौ IV. 3.4a आबभाषे च तौ वृद्धौ II. 64.48a आबभाषेऽथ मुख्यज्ञ: VI. 26.Ila आबभाषेऽथ मेधावी V. 3.32c आबभौ मत्तसारमः II. 63.18c आबाल्यं सख्यमभवत् VII. 36.39c आबोध्य च महाप्राज्ञः II. 34.4a आबवन्तीमवन्ती च IV. 4I.Ioa आभाष्य च महावीर्यान् VII. 39.20a आभाष्य वाचा यत्नेन VII. 4.IIC आभाष्य व्यक्तया वाचा IV. 22.2c आभिजात्यं हि ते मन्ये II. 35.17a आभिषेचनिकं चैव II. 79.10a आभिषेचनिक भाण्डम् II. I9.31a आभिषेचनिकं सर्वम् II. 79.4a आभीरप्रमुखाः पापाः VI. 22.30c आभ्यन्तरश्च बाह्यश्च II. 2.5IC आभ्यां तु सहितो वीर II. I07.16c आभ्यां राज्ये स्थितो धर्मः II. II5.16c आमन्त्रयत राघवः III. II.7Id आमन्त्रयति विप्रान्स III. II.56c आमन्त्रयन्समागम्य I. 63.16c आमन्त्रयस्व तान्सर्वान् VII. 9I.I3c आमन्त्रयितुमारेभे II. II3.18c आमन्त्रये जनस्थानम् III. 49.30a आमन्त्रये त्वां गच्छामि III. II.72c आमन्त्रयेऽहं भगवन् II. 92.7a. आमन्य क्रोधताम्राक्षी V. 23.5c आमन्त्र्य च पितामहम् I. 16.10b आमन्त्र्य तु महात्मानम् VII. 72.20a आमन्त्र्य तु सहस्राक्षम् VII. 67.15a आमन्न्य पुत्रौ सह सीताया च VI. II0.37c आमन्त्र्य भरतः सैन्यम् II. 92.32c आमन्न्य वनदेवताः I. 31.14d आमन्त्र्य वसुधाधिपः II. 2.1b आमन्न्य स मुनीन्सर्वान् III. 2.IC आमन्त्र्य सर्वे प्लवगाधिपास्ते IV. 42.57c आममीनाशनाश्चापि IV. 40.28a आमलक्यो बभूवुश्च II. 91.30c आमिषं यच्च पूर्वेषाम् VII. 74.16a आमिषार्थी खमाप्लुतः IV. 59.12b आमोदं परमं जग्मुः I. 32.13c आम्नायानामयोगेन V. 15.38c आम्रजम्ब्वसनैलॊधैः II. 94.8a आनं छित्वा कुठारेण II. 35.16a आयकर्मण्युपायज्ञः II. I.26c आयच्छत्कपिराज्यं तु V. 31.12a आयत्तमग्निहोत्रं च I. 53.14a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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