Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 99
________________ आपगाश्च महानूपाः II. 48.10c आपञ्चमायाः कक्षायाः II. 32.33c आपतत्कि स्थितं यथा VI. 72.15b . आपतद्राक्षसेन्द्रस्य VII. 8.13d आपतन्तं च रावणम् VI. 99.14b आपतन्तं च संप्रेक्ष्य VI. 76.50c आपतन्तं निरीक्ष्य वै III. 44.3b आपतन्तं महाकपिम् V. 57.28b आपतन्तं महाकपिः VI. 58.39b , , , 58.5If आपतन्तं महाबलम् V. 62.25b आपतन्तं महावीर्यम् VI. 81.24a आपतन्तं महावेगम् IV. 16.19c आपतन्तं रथं रिपोः VI. I06.7d , 106.gd आपतन्तं शरौघेण VI. 102.6ra आपतन्ती च वेगेन VI. 76.36a आपतन्ती तु तां दृष्ट्वा I. 25.IIc आपतन्तीं महाबल: III. 18.18b , , VI. 97.21b आपतन्तीं शिलां दृष्ट्वा VI. 52.28a आपतन्ती स राघवः VI. I00.33b आपतेयुर्विमर्देऽस्मिन् V. 30.27c आपत्संशयिता श्रेय: VI. 57.Iia आपत्सु न प्रकम्पन्ते III. 67.8a आपत्स्वायाति पात्रताम् VII. 40.24d आपदा शङ्कमानेन III. 24.IIC आपन्नानां परा गतिः IV. 15.I9d आपपाताथ संक्रुद्धः VI. 80.Iga आपपातैव सोऽर्जुनः VII. 32.4rd आपाण्डुजलदं भाति IV. 28.6c आपाते पक्षिसङ्घानाम् V. I.78a आपानभूमिप्रतिमा विभाति IV. 28.34d आपानभूभिमुत्सृज्य V. II.48c आपानशाला विचिताः V. 12.13a आपापोऽसि यथा पुत्र II. 64.40a आपिबेयं समुद्रं च III. 49.3c आपीडनकृतव्रणो V. I0.16b आपीडैश्च लताभिश्च IV. 50.27a आपीतवर्णवदनम् II. 76.4c आपुपूरे तदा बिलम् IV. 46.6b आपुप्लुवे गदापाणि: VII. 7.37c आपुलवे व्योम्नि स चण्डवेगः VI. 74.45d आपुः सर्वाः पतिव्रताः VII. 26.59d आपूरयन्ति प्रविचिन्तितानि III. 63.5d आपूरितं विमानं तत् VII. 24.5c आपूर्यत बलोद्धः VI. 74.35c आपूर्यन्त समागतः III. 25.38d आपूर्यन्ते राजमार्गाः VI. 33.23c आपूर्यमाणं शश्वच्च IV. 54.3a आपृच्छामः प्रयास्यामः III. 8.5c आपृच्छामो गमिष्यामः VII. 38.30a आपृच्छेता नरव्याघ्रौ II. II9.I7c आपृच्छे त्वां पुरिश्रेष्ठे II, 50.2a आपृच्छे त्वां महाराज II. 34.22a आपृच्छे स्वाश्रमं गन्तुम् VII. 82.6c आपृच्छेऽहं महाराजम् II. 70.13a आपृच्छय च तदा विप्रम् I. I0.22a आपृच्छय पितरं शूरः I. 77.18c आपृच्छय राजानमदीनसत्त्वः VI. 73.8b आपृच्छ्यैवाभ्यनुज्ञातः I. 2.2c आपृष्ट्वा तौ च राजानौ I. 74.IC आपृष्ट्वैव जगामाशु I. 74.2c आपेदे उपसर्गस्तम् II. 63 2c आपो ज्योतिश्च राघव VI. 22.23b आप्तवान्स दशाननः VII. 31.26d आप्तोर्यामौ महाक्रतुः I. 14.42d आप्रष्टमुपचक्रमे VI. 50.55d आप्रष्टुमुपचक्रमे II. 20.26d | आप्लवन्तः प्लवन्तश्च IV. 39.40a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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