Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 85
________________ अहं तु हिमवत्पृष्ठम् VII. 13.21 अहं तु हृतदारश्च IV. 28.58a अहं ते दर्पशासन: IV. 11.35d अहं ते नानुवक्तव्यः II. 26.26a अहं ते प्रतिजानामि I. 19.14a अहं ते भर्तृवत्सल II. 52.60b अहं ते हृदयं राम VI. 117.230 अहं त्यक्ता च ते वीर VII. 48.13a अहं त्वपचितिं भ्रातुः II. 74.30a अहं त्वयोमुखी नाम III. 69.15c अहं त्वरण्ये वत्स्यामि II. 34 28c ,, 79.8c अहं त्वरे च तं द्रष्टुम् III. 75.8c अहं त्ववगतो बुद्ध्या IV. g. rga अहं त्वष्टारमेव च II. gr. 12b अहं त्वानुगमिष्यामि II. 24.9c " " " ,, 23 "" "" अहं त्वां नानुयामि वै III. 39.22d अहं त्वां भक्षयिष्यामि V. 1. 143 अहं दाशरथेनोढा VI. 32.29a अहं दीर्घायुरव्ययः I. 62.6b अहं दुर्गं गमिष्यामि II. 27.11a अहं द्रक्ष्यामि वैदेहीम् VI. 67.26c अहं द्रक्ष्यामि सिद्धार्थाम् VI. 33.29c अहं द्विजिह्नः संहादी VI. 64.22a अहं निदेशं भवतः II. 34.43c अहं निदेशं भवतोऽनुपालयन् II. 34.55c अहं नियममातिष्ठे I. 19.4a अहन्यहनि देववत् VII. 42.25b अहन्यहनि मानव: VII. 111.6b अहन्यहनि राक्षसा: IV. 40.43b अहन्यहनि राघवः VII. 38.1b अहन्यहनि वर्धते VI. 5.4d अहन्यहनि वर्धन्ते IV. 43.52c " 31.30 III. 40.24C Jain Education International ७८ अहममं विषं तीक्ष्णम् VII. 58.19a अहमपि तव पृष्ठतो द्रुतम् VII. 29.39c अहमप्यतिभीतास्मि V. 42. IOC अहमप्यत्र ते दद्मि VI. 124.7a अहमप्यद्य पुलिने VII. 31.33c अहमप्यनुयास्यामि VI. 49.170 IOI.12C ار " अहमप्यनुरूपस्ते IV. 8.5a अहमप्यब्रुवं वचः V. 58.96d अहमप्यवगच्छामि VI. 118.150 अहमप्यवन प्राप्ते II. 74.34a अहमप्यविलम्बयन् II. 107.16b अहमप्यागमिष्यामि II.105.29c अहमप्येतदेव त्वाम् III. 11.35c अहमस्मिन्गिरौ दुर्गे IV. 59.7a अहमस्मिन्वसन्भ्रातुः IV. 58.7c अहमस्य प्रदास्यामि VII. 36.12a अहमस्यावरो भ्राता IV. 4. 12a अहमहमिति युद्धकौशलास्ते VI. 78. 21C अहमाकाशमासक्ता V. 37.46a अहमाक्रमितुं सौम्य VII. 77.20 अहमाख्यामि ते राजन् VII. 25.7a अहमाख्यामि ते राम III. 11.37a अहमागमने त्वरे V. 67.32b अहमाज्ञापयामि ते VI. II 8. Iod VII. 41.7d " " 22 39 13 47.9d अहमानीय दास्यामि IV. 6.6.c अहमापृच्छय राघवम् II. 57.10b अहमामन्त्रये सर्वान् I. 59.3a अहमार्ततया किंचित् II. 59.14c अहमार्यामनिन्दिताम् V. 58.102b अहमावर्जयिष्यामि V. 62.2a For Private & Personal Use Only अहमाशीविषोपमम् II. 63.24b अहमाश्वासयाम्येनाम् V. 30.7a www.jainelibrary.org

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