Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

View full book text
Previous | Next

Page 75
________________ अशक्तैः पूरितुं तदा I. 67.8d अशक्नुवद्भिस्तैर्गन्तुम् III. 74.25a अशक्नुवन्तस्ते विष्णुम् VII. 8.22a अशक्नुवन्धारयितुम् I. 64.14c अशक्नुवन्नष्कमितुम् IV. 46.8a. अशक्नुवन्वारयितुम् II. 99.30c अशक्यमिति चाप्युक्तः I. 57.13a अशक्यमिति सोवाच I. 58.4a अशक्य मुटुमुपाय दर्शनात् III. 46.35c अशक्यं रावणं हन्तुम् IV. 35.16c अशक्यस्तव वैदेहि III. 45.ra अशक्यं सहसा राजन् VI. 17.61a अशङ्कितमतिः स्वस्थः VI. 17.63a अशक्तानुचरस्तथा I. 14.11d अशनी द्वे प्रयच्छामि I. 27.9c अशनीपातसंकाशम् VII. 16.16c अशरण्यं दुराधर्षम् IV. 48.14a अशरीरः कृतः कामः I. 23.13c अशरीरः शरीरस्य VII. 56.5a अशरीरः शरीरेषु VII. 35.6oc अशर्करामविभ्रंशाम् III. 73.IIC अशस्त्रवध्यतां तात IV. 66.27c अशास्त्रविदुषां तेषाम् VI. 63.15a अशिक्षितं च ब्रह्मास्त्रम् VII. 10.31a शिवं यातुधानानाम् III. 23.6c अशिवं वपुरास्थाय VII. 6.8c अशिवं शोणितोदकम् III. 23.1b अशीतिं प्रतिजानेऽहम् IV. 65.9c अशीलः कर्कशस्तीक्ष्णः III. 36.11c अशुचिर्देवितासि I. 46.22c अशुभं कर्तुमिच्छसि III. 48.21d अशुभं चाप्ययुक्तं च IV. 17.45a अशुभं बत मन्येऽहम् III. 57.4a अशुभं मार्गमाणस्य I. 33.2c अशुभ समजायत VI. 53.13d Jain Education International अशुभानि बहून्येव VII. 46.14 अशुभान्येव भूयिष्ठम् III. 57.19c अशुभाशङ्कि हृदयम् II. 71.350 अशुष्क इव सागरः II. 72.20d अशून्यं कार्यमेकैकम् II. 32.25c अशृण्वता तु सुहृदाम् VI. 110.18a अशेषं संप्रदर्शितम् VII. 94.24f अशोकजैः प्रीतिमयैः VI. 125.42a अशोकमालाविततम् II. 10.4c अशोकवनिकां गता VI. 34. Iod अशोकवनिकां गताम् I. 1. 73d VI. 31.12d 92.41b 113.2gb 126.43f " "" " VII. 43.18b अशोकवनिका चापि V. 13.53a अशोकवनिका चेयम् V. 14.43a अशोकवनिका चैव VI. 72.11 अशोकवनिकां जग्मुः III. 56.32c अशोवनिकां तदा VII. 42.1d अशोकवनिकां त्यक्त्वा VI. 32.38c अशोकवनिका पुण्या V. 13.60c अशोकवनिकामध्ये III. 56.30a V. 14.1IC 29 " 19 95 " "" " "" "" 19 For Private & Personal Use Only "9 "" 33 33 " ,, 17.24a ,, 42.13a 58.55c " "3 59.21a अशोकवनिकामेव V. 18.9c VI. 48.36c अशोकवनिकायां च VI. 31. IOC अशोकवनिकायानम् I. 3. 30c अशोकवनिकायां तु V. 15.150 अशोकवनिका शुभा V. 14.50b www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182