Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 70
________________ अवकीर्णजटाभारम् II. 63.36c अवकीर्ण लतावृक्षः IV. 50.9a. अवकीर्णं विमार्जन्ती IV. 23.20c अवकीर्णस्ततस्तामिः V. 45.8a अवकीर्णा पृथग्विधैः V. 14.13b अवक्षिपन्ति उम्भाण्डान् II. II6.17a अवप्रच्छन्ति साधवः IV. 8.7d अवगच्छन्ति दुर्मते VI. I03.17b अवगच्छाद्य कर्तव्यम् VI. 34.6c अवगच्छामि तान्यहम् VI. I0.18d अवगच्छामि ते शीलम् III. 62.6c अवगम्य तु वैदेहीम् IV. 42.52a अवगम्य हनूमति IV. 44.8b अवगाढं महासत्वैः VI. 4.II2c अवगाढः सुदुष्पारम् II. 59.27c अवगाढा नगोत्तमैः VI. 43.42d अवगाढेस्तरस्विनौ VI. 88.74b अवगाढो महार्णवम् IV. 41.21b अवगाह्य त्वया राजन् VI. 7.14c अवगाह्य दशाननः VII. 31.24d अवगाह्य महारङ्गम् VI. 24.43e अवगाध सुतीर्थाश्च II. 91.78c अवगाह्याप्सु यो यो वै VII. II0.23c अवगायार्णवं स्वप्स्ये VI. 5.9a अवघ्रातश्च मूर्धनि II. 20.21d अवजानन्न संमोहात् III. 38.18a अवजानासि मे तेज: I. 76.3c अवजित्य जितक्रोधः VI. 33.27c अवजेष्यामि चतुरः VII. 20.240 अवज्ञया कृते हन्यात् 1. 13.34a अवज्ञया च राजर्षिः VII. 58.21a अवज्ञया न दातव्यम् I. I3.33c अवज्ञातं यदि हि ते VII. 16.44c अवज्ञाताः पुरा तेन I. 16.6a अवज्ञा पुरतः कृत्वा VII. 68.15c अवज्ञाय दशानन VII. 16.16b अवज्ञाय स राक्षस: VII. 16.14b अवरे चापि मां राम III. 4.22a अवरे ये निधीयन्ते III. 4.23a अवतर्तुमरिन्दमाः IV. 56.24f [अ]वतस्थाते मुहुर्मुहुः VI. 40.22d अवतस्थे महीतले VI. 127:59d अवतारयदालम्ब्य II. I03.23c अवतार्य गिरेःशृङ्गात् IV. 57.4c अवतार्य सुमन्त्रस्तु II. 3.30c अवतिष्ठत युध्यामः VI. 66.18c अवतीर्णो नदी स्नातुम् VII. 31.39a अवतीर्य च विन्ध्याग्रात् IV. 60.10a अवतीर्य तु धर्मात्मा VI. 41.24a अवतीर्य तु शालाग्रात् II. 97.28a अवतीर्य त्रिविष्टपात् VI. I02.12d अवतीर्य महीं गताः VI. I27.34b अवतीर्य रथात्तस्मात् III. 42.12c अवतीर्य रथात्तूर्णम् II. II5.13c अवतीर्य रथात्पादौ II. II3.6c अवतीय विमानानात् VI. 127-59c अवतीर्य विमानाच V. 12.25a अवतीर्य सरः स्वर्गी VII. 77.16c अवतीर्योदकं नदीम् II. 83.24d अवतेरुन पागनाः II. 76.22d अवदत्पुत्रमिष्टार्थः II. 25.40c अवदत्प्रश्रितं वाक्यम् IV. 25.12c अवदद्वै वरारोहाम् VI. II5.12c अवदारणकाले तु II. 77.16a अवदारणशब्दश्च VI. 22.36a अवदीर्णां च पृथिवीं II. 69.13a अवधानपरायणाः VII. 44.21b [अ]वधिं कृत्वा हरीश्वर IV. 18.25d अवधीः काममोहितम् I. 2.15d अवधीः क्रोधमूञ्छितः VII. 51.14b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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