Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 56
________________ अभिवाद्य च वैदेही II. II7.20a अभिवाद्य ततो रामः I. 77.2a अभिवाद्य तथेत्युक्त्वा II. 55. IOC अभिवाद्य तु कौसल्याम् II. 26.1a अभिवाद्य तु धर्मात्मा III. 12.25a अभिवाद्य तु संसिद्धः II. 92.32a अभिवाद्य नमस्यन्तम् II. 44.29a अभिवाद्य नृपा जग्मुः II. II8.43c अभिवाद्य प्रणम्य च VII. 43.22b अभिवाद्य प्रदक्षिणम् VII. 38.13d , , , 56.IIb अभिवाद्य महर्षि तम् VII. 71.24e अभिवाद्य महर्षीन्सः VII. 75.8c अभिवाद्य महातेजाः I. 27.28c अभिवाद्य महात्मानम् VI. II9.29c , , VII. I05.3c अभिवाद्य महात्मानौ VII. 51.24c अभिवाद्य महादेवम् VII. I6.45c अभिवाद्य महाबाहुः V. 34.35a अभिवाद्य मुनिश्रेष्ठम् I. 31.3a अभिवाद्य मुनीन्सर्वान् VI. I26.15c अभिवाद्य मुनेः पादौ VII. 49.2a अभिवाद्य वसिष्ठं च I. I3.2a अभिवाद्य विनीतवत् II. I8.2b अभिवाद्य सलक्ष्मणम् VI. 127.48b अभिवाद्य सुमित्रां च VI. I27.50a. अभिवाद्य हरीन्वृद्धान् IV. 67.8c अभिवाद्याति संहृष्टौ I. 23.4c अभिवाद्यानुपूर्वेण I. 57.16c अभिवाद्याब्रवीच्छिश्यः III. 12.13a अभिवाद्याब्रवीद्दिष्ट्या V. 56.IC अभिवाद्याब्रवीद्रामः VII. 82.6a अभिवाद्याभिवाद्यांश्च I. 77.13c अभिवाद्याभिवाद्यांस्त्वम् I. 41.4a अभिवाद्या ममाज्ञया III. 62.18b | अभिवाद्येदमब्रवीत् I. 70.13b अभिवार्य प्रविष्टानि IV. 26.20a अभिविव्याध लक्ष्मणम् VI. 88.48b अभिवीक्ष्य समन्ततः III. 60.4d अभिवीक्ष्य स्मयन्निव II. 4.42d अभिवृष्टः शरौघेण VI. 59.77a अभिवृष्टस्ततस्तत्र V. 2.2c अभिवृष्टा महामेघैः IV. 30.27a अभिशापकृतस्येति III. 71.6a अभिशापात्सुदारुणात् III. 4.1gd अभिशापादभूत्तात IV. 66.9c अभिशापादहं घोराम् III. 4.16a अभिषिक्तं तु मां दृष्ट्वा IV. 9.22c अभिषिक्त: पुरा येन VI. 128.64c अभिषिक्तः पुरा स्कन्दः VII. 63.15a अभिषिक्तमयोध्यायाम् V. 68.28c अभिषिक्तमहं प्रियम् II. I.37d अभिषिक्तं बिभीषणम् VI. II2.IIb अभिषिक्तं महाश्रियम् II. 44.23b अभिषिक्तस्तु काकुत्स्थः VII. 63.14c अभिषिक्तस्त्वमस्माभिः II. 106.27a अभिषिक्तः सुरै राजा IV. 42.35c अभिषित्ते च भरते II. 9.48a अभिषिक्ते तु काकुत्स्थे VII. 37.1a अभिषिक्ते तु शत्रुघ्ने VII. 63.15c अभिषिक्ते तु सुग्रीवे IV. 26.37a " ,, ,, 27.1a अभिषिक्तो जलक्लिन्नः II. 98.IOC अभिषिक्तो न कामेन IV. 10.7a अभिषिक्तोऽनुपालय II. I7.9b अभिषिक्तौ सुतावके VII. I07.18a अभिषिच्य कुमारौ द्वौ VII. I02.IIa अभिषिच्य च लङ्कायाम् I. I.85a ,, , VI. 41.7c | अभिषिच्य ततो वीरौ VII. 107.20a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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