Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 58
________________ अभीक्ष्णं श्रूयते कच्चित् V. 36.22c अभीक्ष्णं सपरिच्छदैः V. 1.6b अभीतवदनः क्रुद्धः VI. 88.12 5IC 99 "" " "" भुक्त्वैव महातपाः I. 65.6d अभूतपूर्व रामेण VI. 25.2c अभूतपूर्वं शोकं मे VII. 98.4a अभूतां नृपविप्रर्षी VII. 56.4c अभूते नापवादेन V. 15.34c अभेद्यवचनं मत्वा VI. 90.32a अभेद्ये कवचे दिव्ये II. 30.30a अभोजयन्वाहनपाः II. 91.55c अभ्यकीर्यत शोकेन II 14.56a अभ्यकीर्यन्त रावणम् III. 52.16d अभ्यगच्छत्ततो रामम् VII. 42.29a अभ्यगच्छत्सुसंक्रुद्धा III. 18.17c अभ्यगच्छन्त काकुत्स्थम् III. 6. IC अभ्यगच्छन्त वैदेहीम् III. 46.13c अभ्यगच्छन्महातेजाः III. 1. Ioa अभ्यगच्छन्सुराः सर्वे I. 63. IC अभ्यगात्स महाशैलान् II. 71.40 अभ्यतिक्रम्य सौमित्रिम् VI. 99.21a अभ्यतीत्य ततोऽपश्यत् II. 70.27a अभ्यद्रवत्सुसंक्रुद्धः III. 3. 13c अभ्यद्रवद्रणे रामम् III. 27.7C अभ्यधावं कृतत्वरः III. 38.18d अभ्यधावत काकुत्स्थम् VI. 102.3a अभ्यधावत तं क्रुद्धः VI. 67.1180 अभ्यधावत तां सेनाम् VI. 43.4c अभ्यधावत देवांस्तान् VII. 28.22c अभ्यधावत धर्मात्मा II. 99.29c अभ्यधावत रावणि: VI. 89.52d अभ्यधावत रावणिम् VI. 81. 13d अभ्यधावत वेगेन VI. 67.420 अभ्यधावत वैदेही III. 51.44c Jain Education International ५१ अभ्यधावत वैदेहीम् III. 52.6c अभ्यधावत संक्रुद्धः IV. 48.1ga VI. 67.144C · "" 92.420 " 13 अभ्यधावत संग्रामे VII. 15.12 अभ्यधावत्सुसंक्रुद्धः I. 55.6a III. 2.9a "J " " " अभ्यधावन्त काकुत्स्थम् III. 25.9c अभ्यधावन्त पतितम् VI. 93.14c अभ्यधावन्त लङ्कायाः VI. 42.21Ic अभ्यधावन्त वेगेन V. 62.24c अभ्यधावन्त संक्रुद्धाः I. 40.28a अभ्यधावन्त सहिताः VI. 86.7c अभ्यधावं सुसंक्रुद्धः III. 39.1oa अभ्यनुज्ञातुमिच्छामः III. 8.7a अभ्यनुज्ञातुमिच्छामि VI. 50.560 " 33 25.3IC VI. 81.23c 39 122.17C अभ्यनुज्ञाप्य काकुत्स्थम् II. 5.12c अभ्यनुज्ञाप्य सीतां च II. 4.45c अभ्यन्तरमरिन्दमः IV. 33.62d अभ्यपद्यन्त संहृष्टाः IV. 50. 12a अभ्युपेतौ महाबलौ III. 66.1od अभ्यभाषत काकुत्स्थौ I. 23. IC अभ्यभाषत पक्षी सः III. 67.14c अभ्यभाषत वाक्यज्ञ: IV. 3.36c अभ्यभाषत वाक्यं तु II. 37. IC अभ्ययाज्जवनैरश्वैः VI. 90.120 अभ्ययात्प्रत्यरिबलम् VI. 75.60a अभ्यर्चयितुमिच्छसि II. 85.2d अभ्यर्च्य पितृदेवताः III. 16.6b अभ्यर्च्य शिष्टानपराद्विजातीन् II. 31.37d अभ्यर्दयत्सुसंक्रुद्धः VI. 103.20 अभ्यवर्तत काकुत्स्थम् VI. 102.120 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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