Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 62
________________ अम्ब संभृत्य संभारान् II. 21. 50a अम्बा च मम कैकेयी III. 62.170 अम्बां च केकयीं रुष्य II. 97. 12a अम्बा यथा नो नन्देच्च II. 32.22a. अम्बायाः कुशली तातः II. 72.8c अम्बुजानीव फुल्लानि V. 9.38c अम्बुहीनमिवार्णवम् II. 66.1b अम्भोधरमिवोदितम् IV. 27.14d अम्भोमध्ये दुरासदम् VII. 88.10b अम्लानमाल्याभरणाः V. 10.3IC अयं कारुपथो देश: VII. 102.50 अयं कुशिकदायादः I. 60.5c अयं केकयराजस्य I. 77.160 अयं क्रीडासहायस्ते VI. III. 63c अयं खलु सुदुर्गम्य: VII. 20.21a 'अयं गन्धर्वविषयः VII. 100 1Oc अयं गिरिश्चित्रकूट: II. 93. 8a अयजत्पार्थिवात्मज: VI. 128.94d अयजत्पुत्रियामिष्टम् I. 16. gc अयजमिवत्पार्श्वे VII. 55.120 अयं च तनयो राजन् IV. 31.48a अयं च पुत्रोऽतिबल: VII. 30.5a अयं च राजा व्यसनाभिभूतः VI. 14.17a अयं च वीर संदेह: V. 39.24a 56.7a 68., "" 39 29 "" 99 33 अयं च सुमहान्नादः VI. 51.50 अयं च हर्षादाख्याति V. 64. 14a अयं चात्र मया दृष्टः V. 11.39c अयं चाभ्येति संहृष्टः VI. 113.13C अयं चास्मि प्रदातव्यः V. 65.22a अयत्नादागतं राज्यम् II. 85.12c अयत्नेनाधिगम्यते IV. 1. 120d अयथावच्च ते वर्णः VI. 30.3a अयं तत्र शरोत्तमः VI. 22.3rd Jain Education International ५५ अयं तस्य वधोपायः III. 31.28c अयं तु भावो दुर्बुद्धे VII. 30.33 अयं तु मामात्मभवः II. 24.6a अयं तु मे महान्वादः VII. 45.IIC अयं तु विजयं सौम्य VII. 43.8a अयं तु सारथिस्तस्य III. 67.1ga अयं तु यद्यनुग्राह्यः VI. 121. 12a अयं ते सुमहान्कालः VI. 62.13a अयन्त्रितयद्विपाम् II. 88.24b अयं त्वां सचिवैः सार्धम् VI. 85.23a अयं दीर्घायुषस्तस्य III. 11.86a अयं देशः समः श्रीमान् III. 15.1oa अयं निष्टानको घोरः VI. 94.37c अयं नो मन्त्रकालो हि VI. 31.3 अयमध्यायसमयः IV. 28.54c अयमन तवोदितः प्रियार्थम् VI. 83.44a अयमन्वगमाता II. 54.150 अयमस्मि नराधिप VII. 75.7b अयमस्य रणे राम III. 67.18c अयमाख्याति ते राम IV. 6. IC अयमाख्याति मे बाहुः III. 24.7c अयमात्मभवः शोकः II. 64.74a अयमिक्ष्वाकुदायादः I. 60.2a III. 70.13a अमुक्तोऽथ मे भ्राता IV. 10.17 अयमेको महाराज VI. 7. 18c अयमेव हि नः पन्थाः III. 3.23c अयमेवाश्रमो राम III. 7.17a अयं पञ्चवटीदेशः III. 15.20 अयं परिभवो भूयः VI. 8.7a अयं पर्वणि वेगेन I. 39.9c अयं पितुर्वयस्यो मे III. 67.27 अयं पृच्छामि वचनात् II. 15.170 अयं प्रकृत्या चपलः कपिस्तु IV. 33.57c अयं भ्राता सुदारुण: IV. 10.1gb " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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