Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 63
________________ अयं मनोहरः कान्तः VI. 126. 230 अयं महात्मा च महांश्च वीर्यतः V. 47.27a अयं महात्मा मतिमानुवाच IV. 24.8b अयं मां वक्ष्यति क्षिप्रम् IV. 1. 33a अयं मुनिसुतो बालः I. 62.10a अयं मुहूर्तात्सुग्रीवः VI. 67.78a अयं मेषः सवृषणः I. 49.6a अयं यज्ञहरोऽस्माकम् I. 39.26a अयं युक्तो महाबाहो II. 46.27a अयं रक्षतु मां रामः III 38.4c अयं राक्षस मुख्यानाम् VI. 3. 72a अयं राजा महाबाहुः VII. 90.7a. अयं राजा महाभाग I. 60.25a अयं रामो महाप्राज्ञ IV. 5.2a अयं वसति मे भ्राता II. 90.220 अयं वसन्तः सौमित्रे IV. 1. 22a अयं वसिष्ठो भगवान् II. 14.53a अयं वातात्मजः श्रीमान् V. 1. 138a अयं वायुसुतो राजन् VI. 50.32c अयं वासो भवेत्ता II. 56.150 अयं विनिहतः संख्ये III. 26.24c अयं व्याससमीपे तु VI. 113.41a अयशो जीवलोके च II. 74.6c अयशोभीरुणा जने VII. 48.13b अयं शरस्त्वमोघस्ते VII. 63.1ga अयं शोणः शुभजलः I. 35.4a अयं स कालः संप्राप्तः III. 16.4a IV. 28.2a अयं स नन्दनोद्देशः VII. 29.8a अयं स पुरुषव्याघ्रः II. 34.6a अयं सर्वः समस्ताङ्गः II. 56.28a अयं संवत्सरः कालः V. 37.7c अयं स समरश्लाघी VI. IoI. 5d अयं सिद्धाश्रमो नाम I. 29.18a अयं सुदर्शनो द्वीप: IV. 40.61a "3 " Jain Education International ५६ अयं सुरपते घोरः I. 64.3a अयं सौम्य नलो नाम VI. 22.41a अयं हि कालः सुमहान् VI. 65.120 अयं हि कृपया राम III. 52.4a अयं हि जलसंभूतः V. 66.5a अयं हि दोषः सर्वस्य VI. 10.24 अयं हि मां दीपयतेऽद्य वह्निः II. 43.21a अयं हि रुचिरस्तस्याः IV. 1. 3IC अयं हि विपुलो वीरः VI. 22.78c अयं हि शोभते तस्याः V. 66.7a अयं हि सर्वभूतानाम् IV. 43.9a अयं हि सागरो भीमः VI. 22.46a अयं हि सुप्तः षण्मासान् VI. 12.11a अयं हि सुरसैन्यस्य VII. 29.34a अयं सहते क्रुद्धः V. 49.20a अयं हिया संहियते समाधि : IV. 30.16c अयाचत नरश्रेष्ठम् II. 107.50 अयाचतार्थैरन्वर्थैः III. 47.10a अयाचछ्रातरं रामम् I. 1. 35c चैव माम् IV. 28.60a अयुक्तं कालचोदितः III. 40.2d अयुक्तं कृतकर्माणः V. 64. 170 अयुक्तचारं दुर्दर्शम् III. 33.5a अयुक्तचारश्चपल: III. 33.7c " " 37.30 अयुक्तं तु कपिश्रेष्ठ V. 37.45a अयुक्तं निधनं कर्तुम् VI. 89.17a अयुक्तबुद्धिकृत्येन VI. 33.13a अयुक्तबुद्धिर्गुणदोषनिश्चये III. 33.22c अयुक्तं यदधर्मेण IV. 17.520 अयुक्तं हि निवर्तितुम् VI. 82.4d अयुक्ताचारं मन्ये त्वाम् III. 33.11a अयुक्तमिव व कीम् V. 17.23b अयुक्तां रक्षसां वशे V. 17.23d अयुतं तिलमुद्रस्य VII. 91.19c For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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