Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 59
________________ अभ्यवर्तत पुष्पाणाम् III. 52.28a अभ्यवर्तत राजवत् III. 91.38d अभ्यवर्तत वैदेहीम् III. 46.10a अभ्यवर्तत संक्रद्धः VI. 52.26c अभ्यवर्तन्त काकुत्स्थम् VI. I02.21c अभ्यवर्तन्त समरे VI. 86.8c अभ्यवर्तन्त सुग्रीवम् IV. 39.40c अभ्यवर्तन्त हृष्टवत् VII. 27.24d अभ्यवर्षच्च घोरेण VI. 59.76c अभ्यवर्षत दुर्धर्षः VI. 86.28c अभ्यवर्षत संक्रुद्धः VI. 21.92c अभ्यवर्षत्तदा रामम् VI. I00.58c , , , 102.27c अभ्यवर्षद्रणे रामः VI. 102.4c अभ्यवर्षन्त दुर्जयम् III. 25.7d अभ्यवर्षन्त बाणानाम् VI. 7I.94c अभ्यवर्षन्त समरे VI. 73.40c अभ्यवर्षन्त सहसा VI. 73.32c अभ्यवर्षन्महाघोरः III. 23.Ic अभ्यवर्षन्महाघोरैः III. 51.4c अभ्यवर्षस्ततो घोरम् VI. 73.30c अभ्यवादयत प्राज्ञः VII. 82.14C अभ्यवादयदव्यग्रा II. II7.I9c अभ्यवादयदासक्तम् II. I04.20c अभ्यषिञ्च कुशध्वजम् I. 7I.I9d अभ्यषिञ्चत पावकः I. 37.14b अभ्यषिञ्चत सुग्रीवम् IV. 26.36a अभ्यषिञ्चद्विभीषणम् VI. II2.15b , , I9.26b अभ्यषिञ्चन्त सुहृदः IV. 26.23a अभ्यषिञ्चन्नरव्याघ्रम् VI. I28.6ra अभ्पषिञ्चन्महाद्युतिम् I. 37.30b अभ्यषिञ्चस्तदा सर्वे VI. II2.I6c अभ्यस्तं येन वा राम VI. 79.16c अभ्यागच्छद्विनीतात्मा VII. 3.34c अभ्यागच्छन्महातेजाः I. I8.39a अभ्यागतं तु दौरात्म्यात् III. 40.15a अभ्यागतमिवान्तकम् II. II.I2d अभ्यागतैश्चारुविशालपक्षैः IV. 30.31a अभ्याशे गौतमस्य तु VII. 55.5d अभ्याशे परिगर्जतीम् I. 26.18b अभ्युत्थानं त्वमद्यैव VI. 92.62a अभ्युत्थितं ततः सूर्यम् IV. 66.21a अभ्युत्थितो नैकसहस्त्ररश्मि: V. 16.3rd अभ्युपैष्यति धर्मात्मा II. 43.16c अभ्येति रथिनां श्रेष्ठः VI.7I.I6c अभ्येत्य त्वरमाणोऽथ II. 5.7a अभ्येत्य वरुणालयम् V. I.I62b अभ्रशैबलशाद्वलम् V. 57.2d अभ्रान्तहृदयोद्यमः VI. I07.18f [अ]मजयच्छोकसागरः II. 77.13d अमनास्ते न शोकेन II. 62.5a अमनोज्ञं परंतपः II. I03.2d अमन्त्रयत कृत्स्नश्च II. 78.14a अमन्यत तदा वीरः V. 14.39c अमन्यन्त हि ता नार्यः II. I0.4 अमरं चैव तं कृत्वा VII. 4.29c अमरत्वं ददामि ते VII. I0.35b अमरत्वमहं देव VII. 30.8c अमरत्वमहं वृणे VII. I0.16d अमरत्वं प्रवर्तितम् VII. 30.15d अमरा ऋषयश्चैव VII. 6.24 अमराणां महात्मनाम् VI. 35.13b अमरावतीं समासाद्य VII. 5.26c [अ]मरावत्याः सुरा इव VI. 69.33b अमरा विजराश्चैव I. 45.16c अमरेन्द्र मया बुद्धया VII. 30.19a अमरेषु सहस्राक्षम् III. 19.7c अमरैर्ह रिसत्तम V. 58.23b अमरोपमसत्त्वस्त्वम् II. I06.6a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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