Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 32
________________ अनन्तरं स राजर्षिः VII. 55.9a अनन्यचिन्ता रामेण V. 59.24C अनन्यत्वाच्च भर्तरि V. 55.28b अनन्य देवत्वमियं क्षमा च V. 28. 12a अनन्यभावामनुरक्तचेतसम् II. 27.23a अनन्यरूपाः पुरुषस्य दारा: IV. 24.38b अनन्यहृदयां सीताम् VI. 118.15a अनन्या राघवेणाहम् V. 21. 150 अनन्या हि मया सीता VI. 118. 18c अनपत्यः प्रमीयताम् II. 75.35b अनपत्यः शुभाचारः I. 25.50 अनपत्येन च स्नेहात् II. 118.30a अनपत्यो महाराजः I. 42.11c अनपत्योऽसि धर्मात्मन् I. 11.5a अनपेक्षा विशालाक्षी VI. 47. Ioe अनपेक्षौ यथागतम् III. 3.7b अनभिज्ञस्तु नारीणाम् I. 10.30 अनभिज्ञाय शास्त्रार्थान् VI. 63.14a अनमिज्ञा वनानां सा II. 42.20a अनभिज्ञा त्यहं देवि II. 9. 18c अनभीक्ष्णोपसेवितम् II. 71.8b अनयद्यमसादनम् III. 25.24d 26.23b अनयन्द्वारदर्शिनः II. 42.28b अनयं रामलक्ष्मणौ VI. 4. 18b अनयस्तं समस्पृशत् III. 66.7d अनया गजसाह्वया IV. 14.8d अनया चित्रया वाचा IV. 3.33a अनया त्ववगच्छामि I. 28.1gc अनया धर्ममुत्सृज्य II. 81.70 अनया मृगशावाक्ष्या VII. 12.5a अनया वर्तमानोऽहम् II. rog.8c अनया वृत्तसादिन्या II. 34.37c अनया सहितो गत्वा I. 20.30 अनयेनाभिसंपन्नम् V. 22.31a "" "" ४. Jain Education International २५ अनयैवापविद्धानि V. 15.46c अनयो नयसंपन्ने II. 12.1gc अनयोपधया राजन् VI. 64.32a अनयो राजपुत्रयोः I. 67.11d अनयोर्दत्तवान्पुरा V. 60.3b अनयोर्देववर्चसो: I. 4.32d अनरण्यः प्रतापवान् I. 70.23d अनरण्यस्तु संक्रुद्धः VII. 19.9c अनरण्यस्य नृपते VII. 19.14a अनरण्यात्पृथुर्जज्ञे I. 70.24 अनरण्यान्महाराज II. I0.11a अनरण्येन तेऽमात्याः VII. 19.1ga अनरण्येन यत्पुरा VI. 60.8d अनरण्ये महाराजे II II0. IOC अनरण्यो महातपाः II. 11o.gd. अनर्थकं वै बहुभीतवच्च VI. 15.2b अनर्थकुशला ह्येते II. 100.38c अनर्थज्ञैश्च मन्त्रणम् II. 100.66b अनर्थं चाहरिष्यसि III. 38.24d अनर्थदर्शिनी मौख्यत् II. 8.21a अनर्थभावेऽर्थपरे नृशंसे II. 12.101a अनर्थमर्थरूपेण II. 9. 360 अनर्थमिवमर्थाभम् II. 12.560 अनर्थरूपा सिद्धार्था II. 13.2a अनर्थानामभागिनी V. 16.21d अनर्थार्थमथाब्रुवन् V. 27.2d अनर्थिनः सुताः स्त्रीणाम् II. 41.18a अनर्थेभ्यो न शक्नोति VI. 83. 140 अनर्थे सोऽवतिष्ठताम् II. 75.48b अनलश्चानिलश्चैव VII. 5.43a अनलः पनसश्चैव VI. 37.7a अनला चाभवत्कन्या VII. 5.36c अनलापि व्यजायत III. 14.31b अनलायां महाप्रभा VII. 61. 16d अनवस्थौ हि दृश्येते V. 37.550 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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