Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 49
________________ अप्रहृष्टामचेतनाम् VII. 58.17b अप्राप्तकालः कालेन VII. 76.11c अप्राप्तमन्तरा रामः VI. 67.123e अप्राप्तयौवनं बलम् VII. 73.5a अप्राप्तान्येव तान्याशु VII. 32.70a अप्राप्तामेव तां बाणै: VI. 100.20a अप्राप्य तं चैव कामम् IV. 111.23 अप्राप्य सदृशान्दारान् II. 75.35a अप्राप्य ताः काञ्चनराजिवर्णा: V. 5.20a अप्रियस्य च पथ्यस्य III. 37.20 VI. 16.21C "" 33 अप्रियादधिकं भवेत् V. 26.46b अप्रियामिव कस्माच्च VI. 111.85a अप्रियार्थं तवानघे II. 73.26b अप्रीतिर्हि परा मह्यं VII. 45.20c अप्रीतिश्च भवेत्कष्टा VI. 67.790 अप्रीतेन गुणैर्भत्र VI. 116.1ga अप्सरःसु च मुख्यासु I. 17.5a ,,,, 24a अप्सरः स्वागतं तेऽस्तु I. 63.6c अप्सराणां सुवर्चसाम् I. 45.34b अप्सराऽप्सरसां श्रेष्ठा IV. 66.8a अप्सरा वा शुभानने III. 46.17b अप्सराश्च सुवर्चसः I. 45.32d अप्सरोगणसङ्घानाम् VII. 26.9c अप्सरोगणसंयुक्ताः II. 91.58c अप्सरोगणसेवितम् VII. 82. 1d अप्सरोगणसेविता IV. 43.22d अप्सरोभिरिवामराः VII. 5.34b अप्सरोभिश्च शोभितम् IV. 41.22b अप्सरोभिस्ततस्ताभि: III. 11.16a अप्सरोभिः सहस्रशः III. 35.16d अप्सरोरगसङ्घाश्च VII. 42.21 अप्सु निर्मथनादेव I. 45.33a अप्सु मज्जन्ति जन्तवः I. 1. 92b Jain Education International ४२ अफलस्तु कृतो मेषः I. 49.7a अफलस्तु ततः शक्रः I. 49.ra अफलान्भुञ्जते मेषान् I. 49.9c अफलो वा न दृश्यते IV. 60. 12d अफलोsस्मि कृतस्तेन I. 49.3a अबद्ध्वा सागरे सेतुम् 'VI. 2. 11a 19.39a अबन्धुर्भक्षिता सीता V 13.1IC अबलां मृगशावाक्षीम् V. 15.35C अबालवृद्वालदिवाकरप्रभ: V. 47.27a अबिभ्यंश्च त्रयो लोका: VII. 87.6c अबुद्धमवलीय च II. 116.16b अबुद्धिर्बत मे राजा II. 20.5a अबुध्यत महातेजाः II go.5c अब्रवीच्च ततो योधान् VII. 23.26c अब्रवीच तदा राम: VI. 93.36a अब्रवीच तदा रामम् VI. 102.13a 127.54a अब्रवीच तदा वाक्यम् VI. 16.18a "" " 33 " 19.30 अब्रवीच तदा वृत्तम् VII. 1o6.6a अब्रवीच तदा सीता VII. 46.130 अब्रवीच्च दशग्रीवः III. 54.14c VI. 29.16a अब्रवीच परिष्वज्य VI. 101.47a अब्रवीच्च महातेजाः VII. 50.2a अब्रवीच वरारोहाम् II. 95.2a VII. 42.31a " अब्रवीच्च स तान्सर्वान् VI. 93.2a अब्रवीच्च हनूमन्तम् IV. 44.2a VI. 100.45C " 99 " For Private & Personal Use Only " 33 " अब्रवीच हनूमांश्च VI. 19.28a अब्रवीच्चापि मां भूयः II. 58. 24a अब्रवीचैनमासाद्य VI. 88.44a अब्रवीच्छुकसारणी VI. 25.1d www.jainelibrary.org

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