Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 33
________________ अनवाप्तातपत्रस्य II. 45.23a अनवाप्य क्रियां धाम् II. 75.35c अनवाप्य मनोरथम् II. 5I.Igb , , ,, 86.17b अनवाप्यैव तं कामम् I. 58.18a अनष्टसैन्यो ह्यनवाप्तसंशयः VI. 64.36a अनसूयः प्रियंवदः II. 47.9b अनसूया तु धर्मज्ञा II. II9.ra अनसूया दृढव्रता II. II8.23b अनसूयां पतिव्रताम् II. II7.10b अनसूयां महाभागाम् II. II7.8a अनसूयावतैस्तात II. II7.IIC अनसूयासमास्यां च I. 3.18c अनसूयुरनुद्रष्टा II. I00.IIC अनसूयेति या लोके II. II7.16a. अनसूयो जितक्रोधः II. I.30c अनस्तमितमादित्यम् IV. 67.15c अनर्हमयशस्यं च II. 27.3c अनर्हा दुःखशोकाभ्याम् VII. 49.5c अनर्हा वनवासस्य III. 42.32c अनागतं च यत्किञ्चित् I. 3.39a अनागतविधानं तु III. 24. Ila अनागसा मया प्राप्तम् IV. I0.29c अनाचरन्तीं कृपणम् II. 39.I9c अनाथ इव दुर्बलः IV. 55.9d अनाथ इव भूतानाम् III. 2.23a अनाथं मां च वानर VI. 46.32d अनाथं राक्षस कुलम् VI. III.73d अनाथवत्सुखेभ्यश्च II. 8.25c अनाथवद्विलपसि III. 21.5a अनाथश्च हि वृद्धश्च II. 53.8a अनाथस्य जनस्यास्य II. 40.2a अनाथस्य हि मे नाथः IV. I0.2c अनाथा इव दृश्यते V. 38.38d अनाथाया हि नाथस्त्वम् II. 53.17c | अनाथा विलपामहे VI. 94.25d अनाथास्तं विधिं लब्ध्वा II. 91.6oc [अ]नाथो लालप्यते जनः VI. III.63d अनाथो हृतराज्योऽहम् IV. 30.67a अनार्थी कृपणौ वने II. 64.37b अनादिमध्यनिधनः VI. III. I2a अनादृत्य तु तद्वाक्यम् I. I.SIC ___ , , , 75. I0c ,, , III. 61.31a अनाधृष्यतमं देवम् VI. 28.1-4a अनामयश्च मर्त्यानाम् VII. 4I.I8c अनायुधोऽस्मीति विचिन्त्य रौद्रः VI. 67.92c अनार्तरूपः प्रहसन्निवाथ II.33.20b अनार्य इति मामार्याः II. I2.78a अनार्यकरुणारम्भ III. 45.21c अनार्यजुष्टमस्वय॑म् II. 82.14a अनार्यजुष्टं वचनं निशम्य V. 52.12b अनार्य मत्कृते ह्यसौ VI. 49.12b अनार्यस्त्वं कृतघ्नश्च IV. 34.13a अनार्यस्त्वार्यसंस्थानः II. I09.5a अनार्यस्येदृशं कर्म VI. 81.Ige अनार्याः खलु यद्भीता: VI. 66.21e अनार्याः पुरतः स्थितान् II. II6.15d अनार्यामार्यरूपिणीम् II. 92.26d अनार्या सत्यवादिनम् II. I8.31b अनार्ये कृत्यमारब्धम् II. 36.1-4C अनार्यो वृत्तिवर्जितः II. II8.3b अनालक्ष्या चिरे कालम II. 03.5c अनालम्भमनायकम् II. 48.25b अनावृतपुरद्वाराम् II. 88.24c अनावृष्टिकृतोऽभवत् VII. 86.5d अनावृष्टिः सुघोरा वै I. 9.9a अनावृष्टयां तु वृत्तायाम् I. 9.9c अनाशितकुटुम्बानि II. 71.38c अनाश्वास्य गमिष्यामि V. 30.8c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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