Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 29
________________ अद्य रामाभिषेको वै II. I0. IOC अद्य लोकास्त्रयः कृत्स्ना VI. 92.11a अद्य वर्षसहस्रस्य VII. 105.13a अद्य वानरमुख्यानाम् VI. 65.43a 95.13a "" " अद्य वानरसैन्यानि VI. 95.14a अद्य वा निहतं बाणैः III. 29.13a अद्य वालिसमुत्थं ते. IV. 14. IOC अद्य विप्रसरिष्यन्ति III. 30.roa अय वै निर्भया लङ्का VI. 111.82a अद्य वैवस्वतं देवम् IV. 17.47c अद्य वैवस्वतो राजा VI. 92.8c अद्य वो गमयिष्यामि VI. 88.8c अथ वो मामकाः बाणा: VI. 88.70 शत्रुधादहम् VI. 95.11d अद्य शूलनिपातैश्च VI. 78.12 अद्य शोकपरीतानाम् VI. 63.37a अद्य शोकरसज्ञास्ताः III. 30.11a अद्य सर्वमहं त्यक्ष्ये VI. 100.500 अद्य सर्वे धनाध्यक्षाः I. 69.2a अद्य हत्वा रणें यौ तौ VI. 80.17a अद्याक्षोभ्यमपि क्रुद्धः VI. 21.23a अयाङ्गदो वीरवरो न जीवेत् IV. 24.21a अद्यापि चरणौ तस्याः II. 60.28c अद्यापि न निवर्तते I. 24.32b " II. 42.34d अद्यापि न विशुध्यन्ति III. 74.260 अयापीदं वनं दुर्गम् IV. 49.7a अद्यायं दुर्मतिः काले VI. 67.12ga अद्यायमपि ते पुत्रः II. 104.7a अद्यायोध्या तु नगरी II. 46.4a अद्यार्यमुदिताः सन्तु II 106.2ga अद्यारम्यवगतः सौम्य V. 66.6c अयास्य दर्शनेनाहम् V. 66.7c अहं तु द्विजेन्द्र त्वाम् VII. 33. IOC دو 39 Jain Education International २२ अहं पर्वकाले तु VII. 35.35a अयाहं मार्गणैः प्राणान् III. 19.8a अद्याहं विजयी शत्रौ VI. 91.14a अद्याहं शोषयिष्यामि VI. 22.10 अदानीं तवानार्ये V. 27.3a अदानीं सकामा सा III. 2. 200 अद्येनं तावुभौ दृष्ट्वा VI. 92.39a अद्येन्द्रवैवस्वतविष्णुरुद्र VI. 73.7a अद्येममनयं कृत्वा II. 57.30a अद्येमं संयतं क्रोधम् II. 96.27 अमां भक्षयिष्यामि III. 18.16a अद्येयं प्रथमा रात्रिः II. 53.2a अद्येह व्यसनं प्राप्तम् VI. 87.28a अद्यैव गमने बुद्धिम् III. 11.43C अद्यैव च परित्यक्तम् VII. 35.620 अद्यैव चित्रकूटस्य II. 96.28c अद्यैव जहि मां राजन् II. 64.52a अद्यैव तं गमिष्यामि VI. 68.1ga अद्यैव तव पश्यतः VI. 81.26d अद्यैव तं वधिष्यामि IV. 8.21 अद्यैव तस्य रौद्रस्य VI. 85.27a अद्यैव ते निरुच्छ्रासा: VII. 35.63a अद्यैव त्रिदशान्सर्वान् VII. 29.5a अद्यैव त्वां स धर्मात्मा II. 20.21 अद्यैव त्वां पक्षकम् VI. 62. 1.3b अचैव दीक्षां प्रविश I. 29.29a अद्यैव नृपशासनात् II. 19.1od अव पुरुषव्याघ्रम् VII. 3. 100 अद्यैवममरावत्या VII. 33.10a अद्यैव रघुनन्दना V. 38.9b अद्यैव रामं सह लक्ष्मणेन VI. 73.6c अद्यैव सर्वभूतानाम् III. 64.56c अद्यैव हि प्रहास्यामि II. 11.210 अद्यैवाहं गमिष्यामि VII. 107.30 अद्योपादाय तं मार्गम् II. 17.9a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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