Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 27
________________ अदृष्टपूर्वव्यसनाम् II. 38.14c अदृष्टपूर्व संक्रुद्धम् III. 65.3a अदृष्टपूर्वान्पश्यन्तः II. 54.3c अदृष्टपूर्वा भगवन् VII. 49.3a अदृष्ट प्रतिकारेण VI. 83.24a अदृष्टं मृत्युमापन्नः VI. 32.14a अदृष्टरूपा पश्यन्ती II. 55.29c अदृष्टरूपास्तास्तेन I. I0.13a अदृष्टः शास्त्रकुशलैः II. IC0.56c अदृष्टाः पथिगोचराः V. 13.65d अदृष्टायां च वैदेह्याम् IV. 53.22a अदृष्टांश्च विचेष्यामि V. 72.12c अदृष्टो राक्षसेन्द्रेण V. 2.35c अदृष्ट्वा किं प्रवक्ष्यामि V. 12.8a अदृष्ट्वा जनकात्मजाम् V. 13.38d ,, , , 64.3rd अदृष्ट्वा जानकी सीताम् V. 13.2c अदृश्वा तत्र वैदेहीम् III. 61.2a अदृष्ट्वा विनतः सीताम् III. 47.7c अदेया च यथा सीता VI. I 2.25a अदेवमातृको रम्यः II. I00.45a अदेशकाले संप्राप्तः VI. 17.46c ___ , , , ,, 56a अद्भिरेव हि सौमित्रे II. 46.10a अद्भिर्दत्ता स्वधर्मेण II. 29.18c अद्भुतं च धनूरत्नम् I. 31.7c अद्भुतं पश्य लक्ष्मण IV. 5.13b अद्भुतं प्रियदशनम् I. I6.22b अद्भुतं रोमहर्षणम् VI. I0.61b अद्भुतं लोमहर्षणम् VI. 22.73d अद्भुतश्च विचित्रश्च VI. 41.49a अद्भुतामविलम्बिताम् IV. 3.32b अद्भुतैश्च हयैस्तथा V. 4.27b अद्य कर्म करिष्यसि II. 35.IId अद्य कर्म करिष्यामि VI. 100.56a अद्य कर्म हनूमतः VI. II5.7d अव काकाश्च गृध्राश्च VI. 95.20a अद्य कालवशं प्राप्तम् VI. 47.10a अद्य क्रोधं विमोक्ष्यामि VI. 59.31c अद्य गच्छामहे राम I. 29.24a अद्य गोमायुसङ्घाश्च VI. 88.23a अद्य चन्दनसारस्य II. 23.38a अद्य चन्द्रनिभाननाम् III. 64.35b अद्य चन्द्रोऽभ्युपगमत् II. 4.21a अद्य चारित्रशौटीर्यम् II. 73.23c अद्य चैव हि पश्येयम् II. II.28c अद्य जन्म कृतार्थ मे VI. 127.55d अद्य तत्रभवन्तं च II. I06.30c अद्य तद्वानरानीकम् VI. 59.6a अद्य तं द्रष्टुमिच्छावः II. 64.26c अद्य तप्यति दुर्बुद्धिः VII. 4.28a अद्य तं समरे हत्वा VII. 25.32c अद्य तान्क्षुधितः क्रुद्धः VI. 65.22a अद्य तीर्णप्रतिज्ञोऽहम् VI. II5.40 अद्य तूर्यशतैीमम् VI. 92.31a. अद्य तृप्यन्तु मांसादा: VI. 57.1ga अद्य ते कतिचिद्रायः II. 72.5a अद्य ते कालपाशेन I. 59.18c अद्य ते पातयिष्यामि III. 29.14c अद्य ते भिन्नकण्ठस्य IV. 30.6a अद्य ते मच्छरै श्छन्नम् VI. 103.20a अद्य ते मामका बाणाः VI. 71.62a अद्य तैर्वानरैः सर्वैः IV. 35.2:C अद्य त्वं नाभिभाषसे IV. 20.4d अद्य त्वयाहं सौमित्रे VI. 67.109a अद्य स्वस्मि निपातिता VI. III.58b अद्य त्वां दर्शयिष्यामि VI. 88.47c अद्य त्वां निशितैर्बाणैः VII. 18.13c अद्य त्वामुपयास्यन्ति IV. 35.22c | अद्य त्वां सायकैस्तीक्ष्णै: VI. I03. 19c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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