Book Title: Swayambhustotra Tattvapradipika
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ - १० - मैंने यह निश्चय किया था कि लेखन कार्य पूर्ण हो जाने पर एकबार आचार्यश्रीके चरणोंमें बैठकर अपने लेखनका वाचन करूँगा और आचार्यश्रीकी सम्मतिसे ही इसे अन्तिम रूप दूंगा। तदनुसार मैं दिनांक १५ अगस्त १९९१ को मुक्तागिरि पहुंचा। किन्तु आचार्यश्रीकी अत्यन्त व्यस्तताके कारण मैं अपने लेखनका वाचन नहीं कर सका। फिर भी आचार्यश्रीने स्वयम्भूस्तोत्रकी पाण्डुलिपिका सिंहावलोकन करके प्रसन्नता प्रकट की और मुसे आशीर्वाद दिया । परम हर्षकी बात है कि इस प्रसंगसे प्रथम बार सिद्ध क्षेत्र मुक्तागिरिके दर्शन करनेका सौभाग्य भी मुझे प्राप्त हो गया। इस सबके लिए मैं किन शब्दोंमें पूज्य आचार्यश्रीका आभार व्यक्त करूँ। यह सब आपकी प्रेरणा और आशीर्वादका ही फल है । मैं तो आपके पुण्य गुणोंके स्मरणमात्रसे ही पवित्र हो गया हूँ। उपरि उल्लिखित पत्र के लेखक तथा पूज्य आचार्यश्रीके परम भक्त जिन महानुभावने इस कृतिके शीघ्र प्रकाशनका आश्वासन दिया था, वे कुछ कारणोंसे दो वर्ष तक अपने आश्वासनको पूरा नहीं कर सके । तब मैंने जनवरी १९९३में श्री गणेश वर्णी दि० जैन संस्थानकी प्रकाशन समितिसे इसे प्रकाशित करनेका निवेदन किया। प्रसन्नताकी बात है कि समितिने इसके प्रकाशनको सहर्ष स्वीकार कर लिया। अतः मैं वर्णी संस्थानके पदाधिकारियों तथा प्रकाशन समितिके सदस्योंका विशेष रूपसे आभारी हूँ जिनके अनुग्रहसे इस कृतिका शीघ्र प्रकाशन सम्भव हो सका। प्रसिद्ध जैन सन्त पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराजने आशीर्वचन लिखनेका महान् अनुग्रह किया है । इसके लिए मैं उनका अत्यन्त कृतज्ञ हूँ। महावीर प्रेसमें तत्परतासे कलापूर्ण मुद्रणके लिए श्रीमान् भाई बाबूलाल जी फागुल्लको हार्दिक धन्यवाद । १५ अगस्त, १९९३ उदयचन्द्र जैन १२२-बी, रवीन्द्रपुरी सर्वदर्शनाचार्य वाराणसी-२२१००५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 214