Book Title: Swayambhustotra Tattvapradipika
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 13
________________ इस उत्तम कोटिको काव्यरचना पर यद्यसि स्व० पं० जुगलकिशोर जी मुख्तार तथा डॉ. पं० पन्नालाल जी साहित्याचार्यकी हिन्दी टीकाओंके साथ आचार्य प्रभाचन्द्रकी विद्वत्तापूर्ण संस्कृत टीका भी उपलब्ध है, परन्तु विद्वान् लेखक प्रो० उदयचन्द्रजीने इन तीनों टीकाओंका सम्यक उपयोग करते हुए इस कृतिमें विस्तृत विवेचना की है जो अर्थावबोधमें बहुत उपयोगी है । ___सभी भारतीय दर्शनों पर समान रूपसे अधिकार रखने वाले श्री गणेश वर्णी दि० जैन संस्थान ट्रस्टके उपाध्यक्ष आदरणीय प्रो० उदयचन्द्र जी जैन काशी हिन्दू विश्वविद्यालयके स० वि० ध० वि० संकायमें दर्शनविभागाध्यक्ष रहे हैं। मुझे विश्वास है आपके द्वारा लिखित यह हिन्दी व्याख्या सभीको उपयोगी होगी तथा जैनधर्मके आगमिक सिद्धान्तोंको समझने में सहायता मिलेगी। मैं आदरणीय प्रो० जीके प्रति श्रद्धावनत हूँ जिन्होंने यह अमूल्य कृति हमें प्रकाशनार्थ प्रदान की। यद्यपि मैं शब्दार्थके साथ आचार्य प्रभाचन्द्रकी मूल संस्कृत टीका भी देना चाहता था परन्तु ग्रन्थ-विस्तारके कारण नहीं दे सका। अगले संस्करणमें इस कमीको पूरा करने का प्रयत्न करूँगा। प्रस्तुत कृतिके प्रकाशनमें संस्थानके उपाध्यक्ष संस्कृत-प्राकृतभाषा विशारद प्रो० राजाराम जैन आरा तथा पं० फूलचन्द्रजी शास्त्रीके अद्वितीय पुत्र भौतिकविज्ञानवेत्ता डॉ. अशोक कुमार जैन रुड़कीका विशेष रूपसे आभारी हूँ जिनके प्रयत्नोंसे इस कृतिको प्रकाशित करनेमें समर्थ हो सका । ग्रन्थके शीघ्र प्रकाशनमें सहयोगी महावीर प्रेस वाले श्री बाबूलाल जी फागुल्ल तथा मित्र डॉ० सुरेशचन्द्र जैन (संयुक्त मन्त्री) को धन्यवाद देता हूँ। इनके अतिरिक्त जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपसे इस कार्यमें सहयोग रहा है उनके प्रति भी संस्थानकी ओरसे आभार व्यक्त करता हूँ।। डॉ० सुदर्शनलाल जैन स्वतन्त्रता दिवस अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, का० हि० वि० वि० १५ अगस्त, १९९३ निदेशक एवं कार्यकारी मन्त्री श्री गणेश वर्णी दि० जैन संस्थान नरिया, वाराणसी-२२१००५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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