Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 11
________________ १-स्वास्थ्य बधा लोग उस मनुष्य को नीरोग समझते हैं, जो चल-फिर लेता है, खाता-पिता है और जिसे वेद्य की आवश्यकता नहीं पड़ती। परन्तु विचार करने से ज्ञात हो जायगा कि यह उनकी भूल है। अधिकांश मनुष्य ऐसा करने पर भी रोगग्रसित होते हैं। यह केवल उनका भ्रम है कि वे नीरोग हैं, क्योंकि वे इस पर पूरा विचार नहीं करते । पूर्णतः स्वस्थ मनुष्य इस संसार में बहुत कम हैं। सत्य ही कहा गया है कि केवल वही मनुष्य स्वस्थ है, जिसका स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में है। शरीर और मस्तिष्क में इतनी घनिष्ठता है कि एक के अभाव में दूसरा स्थिर नहीं रह सकता। यह बात गुलाब के फूल से स्पष्ट हो जाती है, क्योंकि मनुष्य मात्र उसके रंग की अपेक्षा उसके सुगन्ध को अधिक पसन्द करते हैं। ठीक इसी प्रकार शारीरिक बल की अपेक्षा मानसिक तथा आध्यात्मिक बल कहीं अधिक श्रेयष्कर है। कोई भी मनुष्य कागज के बनावटी फूल के रंग को देख कर उसमें सुगन्ध की आशा नहीं करता। ठीक उसी तरह उस मनुष्य की अपेक्षा जो केवल शरीर से स्वस्थ है हम उसकी अधिक प्रतिष्ठा करते हैं, जो स्वच्छ विचारवाला और सुचरित्र है। शरीर और आत्मा दोनों ही आवश्यक हैं, यह बात सत्य है, फिर भी आत्मा शरीर

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