Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ बहुतों को जन्म रोग ग्रसित पाते हैं, यद्यपि वे सदैव औषधियों का प्रयोग करते रहते हैं । प्रायः वे आज इस डाक्टर की, तो कल उस डाक्टर की दवा करते ही रहते हैं । वे जीवन भर ऐसे डाक्टर की खोज में लगे रहते हैं, जो उनका रोग सदैव के लिये दूर कर दे । स्वर्गीय जज स्टीवन ( जो कुछ दिन हिन्दुस्तान में था ) कहा करता था कि बड़े आश्चर्य की बात है कि जिन जड़ी-बूटियों से वैद्य लोग अनभिज्ञ हैं, वे उन्हीं को औषधि के रूप में, शरीर में पहुँचाते हैं । पूर्ण अनुभव प्राप्त करने के पश्चात् डाक्टर लोग भी अब यही कहते । सर स्टली कूपर कहना है कि औषधियों का ज्ञान केवल काल्पनिक है । सरजान फारब्ज का कहना है कि बहुत-सी औषधियों के होते हुए भी रोग अधिकतर प्राकृतिक नियमानुसार ही दूर किया जा सकता है । डा० फ्रेक - तथा डा० वेकर की यह धारणा है कि अधिकांश रोगी रोग से नहीं बल्कि afaa art मर जाते हैं । डा० मेसनगुड ने तो यहाँ तक कह ster है कि युद्ध और अकाल से जितने लोग नहीं मरते, उससे कहीं safe af के प्रयोग से भरते हैं। . 1 यह भी एक अनुभव की बात है कि जिस स्थान पर जितना ही अधिक डाक्टर की संख्या बढ़ती है, उतने ही हमारे रोग भी बढ़ते जाते हैं । औषधियों का प्रचार इतना अधिक बढ़ गया है कि साधारण पत्रों में भी उनके विज्ञापन पाये जाते हैं। एक नयी प्रकाशित पुस्तक में यहाँ तक लिखा गया है कि हम सिरप, फ्रूट, साल्ट, सार्सापरिला जैसी पेटेन्ट औषधियों का मूल्य केवल दो रुपये से पाँच रुपये तक ही लेते हैं । पाठक यह नहीं जानते कि इन औषधियों का वास्तविक मूल्य केवल एक या दो आना होता है । इसीसे उनके बनाने की क्रिया गुप्त रखी जाती है ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 117