________________
सुभाषितमञ्जरो अर्ज:- जो किसी कारण को लेकर कुपित होता है वह निश्चय ही उस कारण के दूर हो जाने पर प्रसन्न हो जाता है परन्तु जिसका मन बिना कारण ही द्वेप करता है उसे किस प्रकार सतुष्ट किया जा सकता है ।।११।।
क्षमारूप खड्ग की महिमा
क्षमाखन करे यस्य दुर्जनः कि करिष्यति । अतणे पतितो वन्हि स्वयमेवोपशाम्यति ।। १२० ॥
अर्थ:- क्षमा रूपी खग जिसके हाथ मे हो उसका दुर्जन क्या कर लेगा? क्योकि तृणरहित स्थान पर पडी हुई मग्नि स्वय ही शान्त हो जाती है ॥१२०।।
मुनियो का सम्बल क्षमा है
कस्यचित्सम्बलं विद्या कस्यचित्सम्बलं धनम् । कस्यचित्सम्बलं मात्ये मुनीनां सम्बलं क्षमा ।। १२१ ॥
अर्थः- किसी का सम्बल (नाश्ता ) विद्या है, किसी का