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सुभाषितमञ्जरो शास्त्रदान केवलज्ञान का कारण है लभ्यते केवलज्ञानं यतो विश्वावभासकम् । अपरज्ञानलाभेषु कीदृशी तस्य वर्णना ।।२१४॥ AR:- जिस शास्त्रदान से समस्त पदार्थों को प्रकाशित करने वाला केवलज्ञान प्राप्त होता है उससे अन्य शानों की प्राप्ति होती है यह वर्णन क्या महत्व रखता है ?
शास्त्रदान का फल - - शास्त्रदायी सतां पूज्यः सेवनीयो मनीषिणाम् । वादी वाग्मी कवि मान्यः ख्यातशिक्षः प्रजायते ॥२१॥ अर्था:- शास्त्रो का दान करने वाला मनुष्य सत्पुरुषो का पूज्य, विद्वानो का सव्य, वाद करने वाला, प्रशस्त वचन बोलने' वाला, कवि, मान्य और प्रसिद्ध शिक्षा से युक्त होता है ।२१४
· , शास्त्रदान से मनुष्य श्रेष्ठ विद्वान होता है तार्किका शाब्दिक: सार-सिद्धान्तशतसेवितः। ' शास्त्रदानेन जायेत मुनेविद्वच्छिरोमणिः ॥२१६॥ . वर्ण:- मुनि को शास्त्रदान देने से यह मनुष्य तर्कशास्त्र, .का ज्ञानी, ज्याकरण शास्त्र का ज्ञाता सैकड़ो सिद्धान्त ग्रन्थों का