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सुभापितमञ्जरी
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उत्तम पुरुष कव भोजन करते है ? पितु र्मातुः शिशोः पात्रगर्भिणीवृद्धरोगिणाम् । प्रथमं भोजनं दत्वा स्वयं भोक्तव्यमुत्तमैः ।।३७६।। अ - पिता, माता , बालक , मुनि आदि योग्य पात्र , गर्भिणी स्त्री, वृद्ध और रोगी मनुष्यों को पहले भोजन देकर पीछे उत्तम पुरुषों को स्वयं भोजन करना चाहिये ॥३७६।।
किनके पद पद पर तीर्थ है ? परद्रव्येषु ये हयन्धाः परस्त्रीषु नपुसंकाः । परापवादने मूकास्तेपां तीर्थं पदे पदे ॥३७७॥ अर्थ - जो दूसरे के धन मे अन्धे है, परस्त्रियों के विषय ने नपुसंक है और दूसरे की निन्दा करने मे गूगे है उन्हे पद पद पर तीर्थ हैं ॥३७७||
देवताओं के समान पुरुप कौन है ? परपरिवादनमकाः परदोपनिदर्शने चान्धाः । परकटुकवचनवधिरास्ते पुरुपा देवतासदृशाः ॥३७८॥ अर्थ:- जो दूसरे की निन्दा करने मे गूगे है, दूसरे के दोष देखने मे अन्धे हैं और दूसरे के कडए वचन सुनने में वहरे है वे पुरुष देवता के समान हैं ॥३७८॥