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सुभाषितमञ्जरो अर्थ.. जो आगा के दाम है वे सब ससार के दास है और आशा जिनकी दासी है सव ससार उनका दास है ।।१६४॥
अाशा एक नदी है
शार्दूल वित्रीडितच्छन्द आशा नाम नदी मनोरथजना तृष्णातरङ्गाकुला रागग्राहवती वितर्कविहगा धैर्यद्रुमध्वंसिनी मोहावर्तसुदुस्तरातिगहना प्रोत्तुङ्गचिन्तातटी तस्याः पारगता विशुद्धमनसो नन्दन्ति योगीश्वराः।।१६५।।
अर्थः- जिसमे मनोरथ रूपी जल भरा है, जो तृष्णा रूपी तरङ्गो से व्याप्त है, जो राग रूपी मगरमच्छो से सहित है, जिसमे वितर्क-विकल्प रूपी पक्षी है, जो धैर्य रूपी वृक्ष को उखाडने वाली है, जो मोह रूपो कठिन भवर से व्याप्त है और चिन्ता ही जिसके ऊ चे किनारे है ऐसी आशा नाम की नदी है । विशुद्ध हृदय वाले जो मुनिराज उस प्राशा रूपी नदी के उस पार पहुँच जाते है वे ही सुखी है ।।१६।।
आशा एक गत है आशागतः प्रतिप्राणी यस्मिन् विश्वमणूपमम् । कस्य किं कियदायाति वृथा वो विषयैषिता ॥१६६।।