________________ सिद्ध-सारस्वत मङ्गल आशीर्वाद जीवन में उतार-चढ़ाव, लाभ-हानि, यश-अपयश आदि विरोधी धर्मों का आना-जाना लगा रहता है फिर भी जीवन जीने की कला सीख लेते हैं। ठीक इसी तरह द्रव्य की पर्यायों में उत्पाद-व्यय होते रहने पर भी वह नित्य बना रहता है। आपने अध्यात्म के रहस्यों का गहराई तक अध्ययन तो किया है परन्तु भौतिकवाद के प्रभाव से मन में शंकाओं की हिलोरें उठती रहती हैं। ऐसे में आराध्य देव या गुरु की शरण में जाकर उन शंकाओं को शान्त करो। आपने भी देव, शास्त्र और गुरु का प्रामाणिक विवेचन करने वाली पुस्तक लिखी है। जिसे आपने छपने के पूर्व मुझे भी अमरकण्टक में पढ़कर सुनाया था। मेरी दृष्टि में आप एक भव्य जीव हो। अब आसन्न भव्य बनने के मार्ग का अनुगमन करो। यही मेरा आशीर्वाद है। सन्त शिरोमणि पं. पू. आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज