________________ 20. आओ खोजें : संसार की वस्तुयें किस तत्त्व से बनी हैं व कर्म सिद्धान्त (जैन सिद्धान्तों का बालनाट्य विधा से कथन) किन कार्यों से किस कर्म का बन्ध होता है दशलक्षण या पयूषण पर्व जैनधर्म की ऐतिहासिकता दीपावली णमोकार मन्त्र आत्मा की वैभाविकी शक्ति दक्षिण भारत में जैन धर्म जैनधर्म केवल निवृत्ति प्रधान नहीं है समन्वयात्मक प्रवृत्ति प्रधान भी है तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ और उनके दस भव उपवास श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्पराओं में अन्तर श्रावक और श्रमण की प्रतिमाएँ Is peaceful co-existence possible through Jainism How do Digambaras and Svetambaras perform their worship (puja)जैनदर्शन में शब्दार्थ सम्बन्ध प्रमाण-स्वरूप (प्रथम भाग) प्रमाण-स्वरूप में स्वापूर्वार्थ विचार (द्वितीय भाग) पर्यायें क्रमबद्ध भी होती हैं, अक्रमबद्ध भी : एक समीक्षा श्वेताम्बर जैन आगम और आगमिक व्याख्या साहित्य अङ्ग आगमों के विषयवस्तु सम्बन्धी उल्लेखों का श्वेताम्बर और दिगम्बर आगमों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन् की दृष्टि में जैनदर्शन : एक समीक्षा जैन आगम ग्रन्थों का लिपिकरण परीक्षामुख : एक परिशीलन आचार्य हरिभद्रसूरि और उनकी धर्मसंग्रहणी पं. आशाधर की सर्वतोमुखी प्रतिभा और उनका सागार धर्मामृत आचार्य प्रभाचन्द्र जयोदय में वर्णित पदलालित्य वीरोदय (महावीरचरित) काव्य में ऋतुवर्णन पं. महेन्द्र कमार न्यायाचार्य-सम्पादित न्यायकुमुदचन्द्र का सम्पादन-वैशिष्ट्य वेद के अपौरुषेयवादत्व की समीक्षा गुरु पं. जगन्मोहन लाल जी शास्त्री को शत शत वन्दन मार्गणाओं द्वारा जीवों की स्थिति का ज्ञान आचार्य विद्यासागर : एक अनुशीलन आठ योग दृष्टियाँ (आ. हरिभद्रकृत योगदृष्टि-समुच्चय के आलोक में) पूर्वविद् गुणधराचार्य विरचित 'कषायपाहुडं' प्राकृत और संस्कृत का तुलनात्मक विवेचन महाराष्ट्री प्राकृत में संस्कृतस्थ मूल 'य' वर्ण का अभाव क्या बौद्धदर्शन में आत्मा और पुनर्जन्म है ? 58. XIX