________________ प्रथम प्रस्ताव जलती हुई मालूम पड़ी। यह देख, वह वृक्षसे नीचे उतरा; पर साथ ही डर गया। ठंढके मारे उसका शरीर काँप रहा था। इसी लिये वह धीरे-धीरे उस प्रागकी सीध पर चल पड़ा। क्रमशः वह चम्पापुरीके बाहरी हिस्सेमें आ पहुँचा और अश्वपालोंके पास बैठकर आग तापने लगा। उसे देखकर अश्वपालक, “यह दरिद्र बालक कौन है ? कहाँसे आया है ?" इस तरहकी बातें एक . दूसरेसे पूछने लगे। उपर लिख हुए अश्वपालोंके स्वामीने जब यह बात सुनी तब मन्त्रीकी यातका स्मरण कर, उस बालकको अपने पास बुला लिया / उसके पास आनेपर उसने उसकी ठंढ दूर करनेका उपाय कर दिया और सयेरा होते ही उसे मन्त्रीके पास ले गया। उसे देख, मन्त्रीको बढ़ा हर्ष हुआ / उसने उसे एक गुप्त स्थानमें ला रक्खा और उसे स्नान-भोजन कराके सन्तुष्ट किया / यह सब देखकर मंगलकलशमे सोचा,-"यह मेरी इतनी बेहिसाब खातिरदारी क्यों कर रहा है ? साथही मुझे इस तरह छिपा कर क्यों रखा है ?" यह विचार मनमें आतेही उसने मन्त्रीसे पूछा,- "इस परदेशीकी आप इतती ख़ातिर क्यों कर रहे हैं ? यह नगरी कौनसी है ? यह देश कौनसा है ? मेरा यहाँ क्या काम है ? यह सब सच-सच बतलाइये। मुझे बड़ा अचम्भा हो रहा है।" यह सुन, मन्त्रीने कहा,- "इस नगरीका नाम चम्पा हैं। यह देश अंग नामसे प्रसिद्ध है। यहाँ सुरसुंदर नामके राजा राज्य करते हैं / मैं उनका मन्त्री हूँ। मेरा नाम सुबुद्धि है। मैंने ही तुम्हे एक बहुत बड़े कार्यके लिये बुलवा मँगवाया है।" ___मंगलकलशने फिर पूछा, "वह कौनसा कार्य है ?" सुबुद्धिने कहा," सुनो ! राजाने अपनी त्रैलोक्यसुन्दरी नामक कन्याका विवाह मेरे पुत्रके साथ करना निश्चय किया है। परन्तु मेरा पुत्र कुष्ट-व्याधिसे पीड़ित है। इसीलिये, हे भद्र ! मैंने तुम्हें यहाँ बुलवाया है, कि तुम उस कन्याके साथ विवाह कर, उसे फिर मेरे पुत्रको दे देना।" ___ यह सुन, मंगलकलशने कहा,-- "मंत्रीजी ! आप यह इतना बड़ा कुकर्मः ... करनेको क्यों तैयार हैं ? कहाँ वह अत्यन्त रूपवती बाला और कहाँ तुम्हारा कोढ़ी पुत्रा ! तुझसे तो यह कठोर कर्म कदापि नहीं होनेका / यह तो किसी भोले भाले आदमी को कुएँ में उतार कर रस्सी काट डालनेके बराबर है। यह काम भला कौन करे ?" ___तब तो मंत्रीने बिगड़ कर कहा,--- "अरे दुष्ट ! यदि तू यह काम न करेगा, तो मैं तुझे अपने हाथों मार डालूँगा।" यह कह, सुबान्द्व मंत्री अपने हाथ में खड्ग ले, बड़ी भयंकर मुद्रा बना कर उसे डराया-धमकाया, परन्तु वह कुली P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust