________________
60...षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में
अधो और तिर्यग्लोक में होती हैं। देशविरति सामायिक की प्राप्ति केवल तिर्यग्लोक में होती है। सर्वविरति सामायिक की प्राप्ति तिर्यग्लोक के एक भागमनुष्य लोक में होती है।61
सम्यक्त्वसामायिक, श्रुतसामायिक और देशविरतिसामायिक के पूर्वप्रतिपन्नक अर्थात इन तीनों सामायिक को ग्रहण किए हुए जीव नियमत: तीनों लोकों में होते हैं। सर्वविरति सामायिक के पूर्वप्रतिपन्नक अधोलोक और तिरछेलोक में नियमत: होते हैं। ऊर्ध्वलोक में इसकी भजना है।62
17. केषु- सामायिक किन द्रव्यों में होती है? नैगम नय के अनुसार सामायिक केवल मनोज्ञ द्रव्यों में ही संभव है क्योंकि वे मनोज्ञ परिणाम के कारण बनते हैं। शेष नयों के अनुसार सब द्रव्यों में सामायिक संभव है।63 ____ 18. कथम्- सामायिक की प्राप्ति कैसे होती है? श्रुतसामायिक की प्राप्ति मतिज्ञानावरण, श्रुतज्ञानावरण तथा दर्शनमोह के क्षयोपशम से होती है। सम्यक्त्वसामायिक की प्राप्ति दर्शनसप्तक के क्षयोपशम, उपशम और क्षय से होती है। देवविरति सामायिक की प्राप्ति अप्रत्याख्यानावरण के क्षय, क्षयोपशम
और उपशम से होती है। सर्वविरतिसामायिक की प्राप्ति प्रत्याख्यानावरण के क्षय, क्षयोपशम और उपशम से होती है।64
19. कियच्चिरम्- सामायिक की स्थिति कितने समय तक रहती है? सम्यक्त्व सामायिक और श्रुत सामायिक की लब्धि की दृष्टि से उत्कृष्ट स्थिति कुछ अधिक छासठ सागरोपम की है। देशविरति सामायिक और सर्वविरति सामायिक की उत्कृष्ट स्थिति देशोन पूर्वकोटि की है।65
तैंतीस सागरोपम की स्थिति वाले विजय आदि पाँच अनुत्तर विमानों में दो बार उत्पन्न होने पर अथवा बाईस सागरोपम की स्थिति वाला बारहवाँ अच्युत नामक देवलोक में तीन बार उत्पन्न होने पर सम्यक्त्व और श्रुतसामायिक की स्थिति छियासठ सागरोपम की होती हैं। इन देव-भवों के मध्य में होने वाले मनुष्य भव की स्थिति जोड़ने पर वह कुछ अधिक छियासठ सागरोपम की हो जाती है। __सम्यक्त्व, श्रुत एवं देशविरति- इन तीन सामायिक की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और सर्वविरतिसामायिक की स्थिति एक समय है। उपयोग की अपेक्षा चारों सामायिक की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टत: अनेक जीवों की अपेक्षा सर्वकाल है।66