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सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण ... 63
25. स्पर्श - सामायिक का कर्त्ता कितने क्षेत्र का स्पर्श करता है? नियुक्तिकार भद्रबाहुस्वामी ने सामायिक का क्षेत्रस्पर्शना की दृष्टि से भी विचार किया है। सम्यक्त्व सामायिक और सर्वविरति सामायिक से सम्पन्न जीव केवली समुद्घात के समय सम्पूर्ण लोक का स्पर्श करता है। श्रुतसामायिक और सर्वविरति सामायिक से युक्त जीव इलिका गति से अनुत्तर विमान में उत्पन्न होता है, तब वह लोक के सप्त चतुर्दश 7/14 भाग का स्पर्श करता है । सम्यक्त्व सामायिक और श्रुतसामायिक से उपपन्न जीव छठीं नारकी में इलिका गति से उत्पन्न होता है। इस अपेक्षा से वह लोक के पंच चतुर्दश 5 / 14 भाग का स्पर्श करता है । देशविरति सामायिक से सम्पन्न जीव यदि इलिका गति से अच्युत देवलोक में उत्पन्न होता है तो 5/ 14 भाग का स्पर्श करता है। यदि अन्य देवलोकों में उत्पन्न होता है तो वह द्विचतुर्दश 2/14 आदि भागों का स्पर्श करता है। 74
भावस्पर्शना की दृष्टि से श्रुतसामायिक संव्यवहार राशि के सब जीवों द्वारा स्पृष्ट है। सम्यक्त्व सामायिक और सर्वविरति सामायिक सब सिद्धों द्वारा स्पृष्ट है, क्योंकि इन दोनों सामायिक को प्राप्त किए बिना कोई भी जीव सिद्ध नहीं बन सकता। सब सिद्धों को बुद्धि से कल्पित असंख्येय भागों में विभक्त करने पर यह कहा जा सकता है कि देशविरति सामायिक असंख्येय भाग न्यून सिद्धों के द्वारा स्पृष्ट है। कोई-कोई जीव देशविरति सामायिक का स्पर्श किए बिना भी मुक्त हो जाते हैं जैसे - मरूदेवी माता | 75
26. निरुक्त- सामायिक के कितने निरुक्त (पर्याय) होते हैं ? सम्यक्त्व सामायिक के सात, श्रुत सामायिक के चौदह, देशविरति सामायिक के छह और सर्वविरति सामायिक के आठ पर्यायवाची नाम हैं। 76
प्रस्तुत अध्याय में मुख्य रूप से सामायिक आवश्यक अभिप्रेत है। यद्यपि श्रमण एवं नित्य सामायिक करने वाले गृहस्थ की अपेक्षा इसमें पूर्वोक्त सामायिक के चारों प्रकारों का अन्तर्भाव हो जाता है। अतः चतुर्विध सामायिक का अनेक द्वारों के माध्यम से वर्णन किया गया है।
सामायिक और ज्ञान
विशेषावश्यकभाष्य में मति आदि पंच ज्ञान की अपेक्षा चतुष्क सामायिक का वर्णन इस प्रकार है