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चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक का तात्त्विक विवेचन ...141 अपेक्षा सामान्य केवली असंख्यात गुणा अधिक हैं। दूसरे, तीर्थंकर चार घाति कर्मों का नाश करते हैं और सिद्ध आठ कर्मों से मुक्त होते हैं अत: शुद्ध अवस्था की अपेक्षा सिद्ध तीर्थंकर से महान होते हैं फिर द्वितीय आवश्यक में चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति को ही प्रधानता क्यों दी गई है?
आचार्य देवेन्द्रमुनि ने इसके समाधान में कुछ तथ्य प्रस्तुत किए हैं जो निश्चित रूप से मननीय हैं।23
सर्वप्रथम तो यह है कि संसार में जो शुभतर परमाणु हैं उनसे तीर्थंकर का शरीर निर्मित होता है, इसलिए रूप की दृष्टि से तीर्थंकर महान है। दूसरे, संसार में जितने भी प्राणधारी हैं उन प्राणियों में तीर्थंकर सबसे अधिक बलवान होते हैं। उनके बल के सामने बड़े-बड़े योद्धा भी टिक नहीं पाते। तीर्थंकर अवधिज्ञान के साथ जन्म लेते हैं। दीक्षा अंगीकार करते ही उन्हें मन:पर्यवज्ञान प्राप्त हो जाता है और उसके पश्चात वे प्रबल पुरुषार्थ द्वारा केवलज्ञान को उपलब्ध कर लेते हैं अत: ज्ञान की दृष्टि से भी तीर्थंकर महान है।
दर्शन की दृष्टि से तीर्थंकर क्षायिक सम्यक्त्व के धारक होते हैं। उनका चारित्र उत्तरोत्तर विकसित होता है। उनके परिणाम सदा बढ़ते हुए रहते हैं। रत्नत्रय की अपूर्व साधना के साथ ही दान के क्षेत्र में भी उनकी समानता कोई नहीं कर सकता है। वे श्रमण धर्म में प्रविष्ट होने के पूर्व एक वर्ष तक प्रतिदिन एक करोड़ आठ लाख स्वर्ण मुद्राओं का दान देते हैं। वे विशिष्ट कोटि के ब्रह्मचारी होते हैं। साधनाकाल में अद्भुत सौन्दर्यवान देवांगनाएँ भी उन्हें आकर्षित नहीं कर पाती। तप के क्षेत्र में तीर्थंकर कीर्तिमान संस्थापित करते हैं।
भावना के क्षेत्र में तीर्थंकरों की भावना उत्तरोत्तर निर्मल और निर्मलतम होती जाती है। इस प्रकार तीर्थंकर पुरुषों का जीवन अनेक विशेषताओं से समन्वित होता है। तीसरे, एक काल में एक स्थान पर अनेक सामान्य केवली हो सकते हैं पर तीर्थंकर एक ही होता हैं। प्रत्येक साधक प्रयत्न करने पर अरिहन्त बन सकता है, किन्तु तीर्थंकर पद प्राप्ति के लिए एक नहीं अनेक भवों की साधना अपेक्षित है। तीर्थंकर उत्कृष्ट पुण्य प्रकृति है। इसके अतिरिक्त भी सामान्य केवली और तीर्थंकर में अनेक अन्तर हैं। जैसे तीर्थंकर वाणी के पैंतीस अतिशय से युक्त होते हैं, पसीना आदि से रहित होते हैं, देवकृत, केवलज्ञानकृत एवं जन्मकृत अतिशय के धारक होते हैं, समवसरणस्थ होकर