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प्रत्याख्यान आवश्यक का शास्त्रीय अनुचिन्तन ...327 4. घर सहियं- जब तक घर में प्रवेश न करूं तब तक आहार पानी का सेवन नहीं करूंगा ऐसी प्रतिज्ञा करना, घरसहियं संकेत प्रत्याख्यान है।
5.स्वेद सहियं- जब तक पसीना सूख न जाये, तब तक चारों आहार का त्याग है ऐसी प्रतिज्ञा करना, स्वेदसहियं संकेत प्रत्याख्यान है।
6. उच्छ्वास सहियं- जब तक इतने उच्छ्वास न हो जाये, तब तक चतुर्विध आहार का उपभोग नहीं करूंगा, ऐसा मानसिक संकल्प करना उच्छ्वास सहियं संकेत प्रत्याख्यान है।
7. थिबुकसहियं- जब तक अमुक पात्रों पर लगे हुए पानी के बिंदु सूख न जाये, तब तक किसी आहार का सेवन नहीं करूंगा, ऐसा संकल्प करना थिबुकसहियं संकेत प्रत्याख्यान है।
8. दीपक सहियं- जब तक दीपक प्रज्वलित रहे, तब तक मुँह में कुछ भी नहीं डालूंगा ऐसी प्रतिज्ञा करना, दीपक सहियं संकेत प्रत्याख्यान है। ___उपरोक्त कोई भी सांकेतिक प्रत्याख्यान भग्न हो जाये तो गुरु से उसका प्रायश्चित्त लेना चाहिए।26
विशेष- संकेत प्रत्याख्यान एक अथवा तीन नमस्कार मन्त्र गिनकर पूर्ण करना चाहिए। उसके पश्चात भोजन करके पुन: कोई भी संकेत प्रत्याख्यान ग्रहण कर सकते हैं और इस तरह बार-बार संकेत प्रत्याख्यान धारण करने से भोजन काल के अतिरिक्त शेष काल विरतिभाव में गिना जाता है।
प्रतिदिन एकासन करने वाले को यह प्रत्याख्यान करने से एक महीने में लगभग 29 उपवास और बीयासन करने वाले को लगभग 28 उपवास जितना लाभ मिलता है।
नवकारसी आदि छूटा प्रत्याख्यान करने वाले श्रावक के द्वारा यह प्रत्याख्यान बार-बार किया जाए तो विपुल मात्रा में विरति भाव का लाभ प्राप्त होता है। . प्रवचनसारोद्धार के अनुसार सांकेतिक प्रत्याख्यान नवकारसी आदि प्रत्याख्यान के साथ भी ले सकते हैं और अलग से भी किए जा सकते हैं। मनियों के लिए भी यह प्रत्याख्यान हैं। जैसे पोरिसी आदि के प्रत्याख्यान का समय पूर्ण हो चुका है, किन्तु गुरु उस समय तक मंडली में न आए हों अथवा धर्मसभा आदि के कारण आहार करने में विलम्ब हो तो बिना प्रत्याख्यान के एक क्षण भी व्यर्थ न चला जाए अत: साधु-साध्वी भी अंगठ्ठ सहियं आदि का प्रत्याख्यान करते हैं।27