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प्रत्याख्यान आवश्यक का शास्त्रीय अनुचिन्तन ...373 वस्तुएँ, सूरण, अदरक आदि वनस्पतियों से निर्मित व्यंजन, अनेक प्रकार की रोटी, पूड़ी, खाजा, चूरमा आदि पदार्थों का समावेश होता है।99
2. पान- जो पीया जाये वह पानी कहा जाता है। यहाँ पानी के अन्तर्गत निम्न वस्तुओं का अन्तर्भाव होता है- कुआँ, तालाब, नदी आदि का पानी, अनेक प्रकार के चावल का धोया हुआ पानी, मांड, जौ आदि का धोया हुआ पानी, केर का पानी, ककड़ी, खजूर आदि के भीतर का जल, आम आदि फलों का धोया हुआ पानी, छाश की आछ, इक्षुरस, विविध प्रकार की मदिरा, नारियल आदि फलों के अन्दर का पानी, अनार आदि का रस-ये सब पीने योग्य वस्तुएँ पान है।100
3. खादिम- 'खाद्' धातु से 'ईमन्' प्रत्यय जुड़कर खादिम शब्द बना है। इसका सामान्य अर्थ खाने योग्य है। यहाँ खादिम शब्द से निम्न पदार्थ ग्राह्य हैंमुंजे हुए चने, गेहूँ आदि, दाँतों को व्यायाम देने वाले गूद, फूली, चिरौंजी दाने, मिश्री आदि, गुड़ आदि से संस्कृत पदार्थ, खजूर, नारियल, द्राक्षा, ककड़ी आम आदि अनेक प्रकार के फल तथा बदाम, काजू आदि शुष्क मेवा-इत्यादि खादिम कहलाते हैं।101 इन खाद्य पदार्थों के सेवन से अमुक अंश में क्षुधातृप्ति होती है। श्राद्धविधि में भी कहा गया है कि ‘फलेक्षु-पृथुक-सुखभक्ष्यादि खाद्यम्'- फल, इक्षु आदि सुखभक्ष्य पदार्थ खाद्य हैं।
___4. स्वादिम- ‘स्वाद्' धातु से 'इमन्' प्रत्यय लगकर स्वादिम शब्द की रचना हुई है। स्वादिम का सामान्य अर्थ है- स्वाद लेने योग्य। यहाँ स्वाद योग्य पदार्थों में निम्न का समावेश है- नीम, बबूल आदि का दातून, पान का पत्ता, सुपारी, इलायची, लवंग, कर्पूर आदि, सुगन्धित द्रव्यों के मिश्रण रूप ताम्बूल, तुलसी, जीरा, हल्दी,पीपल, सोंठ, हरड, आवला आदि अनेक प्रकार के
स्वादिम हैं।102
- इस तरह उपर्युक्त वर्णन के आधार पर शेष वस्तुओं में से कौनसी वस्तु किस आहार के अन्तर्गत आती है यह जान लेना चाहिए। प्रसंगानुसार अणाहारी वस्तुएँ भी उल्लेखनीय हैं- 1. अगर-प्यास एवं मूर्छा को दूर करने में गुणकारक 2. अफीम-पीड़ा उपशामक 3. आसंघ-खांसी दमा में लाभदायक 4. एलिया- ज्वर नाशक 5. आंक का दूध- वातहर, कफ नाशक 6. अम्बर-वायु हर, प्यास एवं दर्द शामक 7. अतिविष कली- ज्वर नाशक एवं पौष्टिक 8. इन्द्र