Book Title: Shadavashyak Ki Upadeyta
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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कायोत्सर्ग आवश्यक का मनोवैज्ञानिक अनुसंधान ...315
68. वही, पृ. 63 69. आवश्यकनियुक्ति, गा. 1507 70. आलोचनादिना पुनः संस्करणमित्यर्थः। उद्धृत-प्रबोधटीका, भा. 1, पृ. 96 71. आवश्यकनियुक्ति, 1508 72. चैत्यवंदनमहाभाष्य, 386 73. प्रबोधटीका, भा. 1, पृ. 97 74. चैत्यवंदनमहाभाष्य, 387 75. जिनवाणी- प्रतिक्रमण विशेषांक, पृ. 210 76. काउस्सग्गेणं भंते! जीवे किं जणयइ? काउस्सग्गेणं तीयपडुप्पन्नं...सुहंसुहेणं विहरइ ॥
उत्तराध्ययनसूत्र, 29/13 77. देहमइजड्डसुद्धी, सुहदुक्खतितिक्खया अणुप्पेहा । झायइ य सुहं झाणं, एगग्गो काउस्सग्गम्मि ।
(क) आवश्यकनियुक्ति, 1462 मणसो एगग्गत्तं जणयइ, देहस्स हणइ जड्डत्तं । काउस्सग्गगुणा खलु, सुहदुहमज्झत्थया चेव ॥
(ख) व्यवहारभाष्य, पीठिका, गा. 125 78. काओसग्गसि कदे जह, भिज्जदि अंगुवंगसंधीओ। तह भिज्जदि कम्मरयं, काउस्सग्गस्स करणेण ॥
मूलाचार, 7/668 79. आवश्यकचूर्णि, भा. 2, पृ. 245, 246 80. वही, पृ. 246 81. आवश्यकनियुक्ति, गा. 1537 82. काउस्सग्गं तओ कुज्जा सव्वदुक्खविमोक्खणं ।
उत्तराध्ययनसूत्र, 26/50 83. आवश्यकनियुक्ति, 1553-1554 84. वही, 1551 85. मूलाचार, 7/654 की टीका 86. वही, 7/655-656 87. चरणाईयाराणं जहक्कम, वण-तिगिच्छ रूवेणं ।
पदिक्कमणासुद्धाणं, सोही तह काउस्सग्गेणं।।।

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